बाबू प्यारेलाल गुप्त जी की स्मृति में आयोजित संगोष्ठी सम्पन्न
महंत घासीदास संग्रहालय परिसर स्थित सभागार में छत्तीसगढ़ शासन, संस्कृति विभाग द्वारा विशिष्ट साहित्यकार, पुरातत्वज्ञ और इतिहासकार श्री प्यारेलाल गुप्त जी की स्मृति में एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन प्रातः 11.00 बजे से किया गया। श्री गुप्त जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के संबंध में तथा उनकी रचनाओं के संबंध में आमंत्रित प्रसिद्ध रचनाकारों, इतिहासकारों, साहित्यकारों एवं उनके परिजनों द्वारा विस्तृत चर्चा की गई। संगोष्ठी के उद्घाटन अवसर पर सर्वप्रथम दीप प्रज्जवलन कर बाबू प्यारेलाल गुप्तजी के छायाचित्र पर माल्यार्पण सभा में उपस्थित विशिष्ट अतिथियों डॉ. पी.के. मिश्रा, अधीक्षण
पुरातत्वविद्, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, रायपुर मण्डल, रायपुर, श्री नरेन्द्र शुक्ल, संचालक, संस्कृति एवं पुरातत्व, वरिष्ठ साहित्यकार श्री बच्चू जांजगीरी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री केयूर भूषण, श्री ए.के. शर्मा, छत्तीसगढ़ शासन, पुरातत्वीय सलाहकार द्वारा किया गया। उद्घाटन पश्चात संस्कृति एवं पुरातत्व के संचालक श्री नरेन्द्र शुक्ल द्वारा बाबू प्यारेलाल गुप्त जी की रचनाओं यथा सुखी कुटुम्ब और लवंगलता (उपन्यास), पुष्पहार (गल्पसंग्रह), फ्रांस की राज्य क्रांति और ग्रीस का इतिहास, बिलासपुर वैभव, रतनपुर के विष्णु यज्ञ का स्मारक ग्रंथ, एक दिन (प्रहसन), साहित्य वाचस्पति पं. लोचनप्रसादजी पाण्डेय की प्रामाणिक जीवनी एवं ‘प्राचीन छत्तीसगढ़’ नामक पुस्तक के बारे में उल्लेख किया गया। प्रथम वक्ता के रूप में उनके परिवारजनों में श्री विजय गुप्त ने बाबू प्यारेलाल गुप्त जी के कार्यों पर प्रकाश डाला एवं विभाग द्वारा श्री गुप्त जी स्मृति में आयोजित 37वीं पुण्यतिथि पर विभाग को धन्यवाद ज्ञापित किया।
बिलासपुर से पधारे साहित्यकार श्री रमेश चन्द्र सोनी ने इस आयोजन को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के इतिहास एवं बिखरी हुई संस्कृति को समेटने का सराहनीय प्रयास श्री गुप्त जी द्वारा किया गया था एवं उनकी रचना ‘प्राचीन छत्तीसगढ़’ के द्वारा राज्य की ऐतिहासिक, शैक्षणिक, लोकगाथाओं, परंपराओं का स्पष्ट वर्णन मिलता है जो तात्कालिक सामाजिक व्यवस्था पर पर्याप्त प्रकाश डालता है। सभा को संबोधित करते हुए डॉ. रमेन्द्रनाथ मिश्र, अध्यक्ष, बख्शी सृजनपीठ, भिलाई ने कहा कि श्री गुप्त जी की रचनाओं एवं कृतियों को एक जगह संग्रहित किया जाये जिससे आने वाले समय में अन्य युवा साहित्यकार प्रेरित हो सके एवं उन्होंने विभाग से यह भी अनुरोध किया गया कि विभाग द्वारा श्री गुप्त जी की कहानी, रचनाएं, कविता संग्रह एवं जीवनी का प्रकाशन कराया जाये।
डॉ. विष्णुसिंह ठाकुर, पुरातत्वविद् ने कहा कि श्री गुप्त जी का सपना छत्तीसगढ़ अंचल को वैभव सम्पन्न होते देखना था और यही शिक्षा भी थी। सहकारी बैंक प्रणाली पर श्री गुप्त के अविस्मरणीय योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि यह उनकी ही देन है जो एक लोकप्रिय संस्था के रूप में कार्यरत है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री केयूर भूषण ने श्री गुप्त की पीड़ा का उल्लेख करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ क्षेत्र का पिछड़ापन उनके लिए काफी पीड़ा दायक था और वे हमेश से अपने कृतियों एवं रचनाओं के द्वारा लोगों को प्रोत्साहित करने का प्रयास करते रहते थे। उन्होंने अपने आप में अनूठे इस आयोजन की मुक्त कंठ से प्रशंसा की एवं संस्कृति विभाग के प्रयास को सराहा।
श्री ए.के. शर्मा, छत्तीसगढ़ शासन, पुरातत्वीय सलाहकार ने कहा कि छत्तीसगढ़ क्षेत्र में अनेक विद्वत साहित्यकारों ने जन्म लिया तथा अब आवश्यकता है कि ऐसे महान विभूतियों की रचनाओं, कृतियों को संग्रहित कर प्रकाशित किया जाये एवं उनकी जन्मस्थली को संरक्षित एवं संवर्धित किया जाये। संगोष्ठी को श्री व्ही.के. प्रसाद, इतिहासकार, डॉ. सोमनाथ यादव, अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग आयोग, डॉ. पी.के. मिश्रा, अधीक्षण पुरातत्वविद्, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, रायपुर मण्डल, रायपुर, वरिष्ठ साहित्यकार श्री बच्चू जांजगीरी, डॉ. रामकुमार बेहार, इतिहासकार, डॉ. एल.एस. निगम, प्राध्यापक, पं. रविषंकर शुक्ल विश्व विद्यालय, रायपुर, श्री मन्नूलाल यदु, रायपुर ने भी संबोधित किया। संगोष्ठी में मुख्य रूप से बाबू प्यारेलाल गुप्त जी के गृहग्राम रतनपुर से पधारे उनके परिजन एवं ग्रामवासियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। इसी तरह ग्राम मल्हार से आये श्री गुलाब सिंह, अभनपुर से श्री ललित शर्मा, श्री जी.के. अवधिया, रायपुर से श्री आगत शुक्ला आदि ने भी संगोष्ठी में भाग लिया।
कार्यक्रम के अंत में श्री राहुल कुमार सिंह, उपसंचालक द्वारा श्री गुप्त जी के साथ अन्य विशिष्ट साहित्यकारों की रचनाओं को सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से देश-विदेश में प्रचारित प्रसारित किये जाने हेतु प्रयास किये जाने का उल्लेख किया एवं संगोष्ठी में उपस्थित सभी विद्वतजनों, गणमान्य नागरिकों एवं संस्कृति विभाग के सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को धन्यवाद ज्ञापित किया एवं श्री राकेश तिवारी, स्वागत अधिकारी द्वारा मंच संचालन किया गया।
nice ..badhai ho…
संगोष्ठी पर सुन्दर आलेख, साहित्य के स्तंभों की स्मृति चिरस्थायी बनाने और जो आयोजन में आ न सके वे कम से कम इस प्रयास को को जान लें। ललित शर्मा जी का यह समय को समेटने और उसे सभी को बांटने का यह प्रयास सुन्दर है…
संगोष्ठी पर सुन्दर आलेख, साहित्य के स्तंभों की स्मृति चिरस्थायी बनाने और जो आयोजन में आ न सके वे कम से कम इस प्रयास को को जान लें। ललित शर्मा जी का यह समय को समेटने और उसे सभी को बांटने का यह प्रयास सुन्दर है…..