नि:शक्तों की सेवा सबसे बड़ी सेवा-श्री शेखर दत्त
राज्यपाल श्री शेखर दत्त ने कहा कि नि:शक्त जनों के लिए बनाये जाने वाले उपकरणों की डिजाईन ऐसी होनी चाहिए, जो केवल संचालन में सुविधाजनक हो बल्कि उनके जीवन में अधिक गतिशीलता आ सके। राज्यपाल आज यहां श्री विनय मित्र मंडल द्वारा आयोजित नि:शुल्क विशाल विकलांग शिविर के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इस अवसर पर नि:शक्तजनो को जयपुर पैर, कृत्रिम हाथ, ट्रायसिकल, वैशाखी एवं श्रवण यंत्र आदि वितरित किये तथा शिविर के प्रयासो की सराहना की।
राज्यपाल ने अपने उद्बोधन में आगे कहा कि नि:शक्तों की सेवा सबसे बड़ी सेवा है। इस तरह की सेवा से केवल नि:शक्तजन ही लाभान्वित नहीं होते हैं बल्कि सेवा करने वालों को भी आत्मीय और मानसिक संतुष्टि मिलती है। उन्होंने कहा कि नि:शक्त जन किसी के मोहताज नहीं है, बल्कि उनमें आम लोगों की तरह कार्य करने की भी भरपूर क्षमता है। विश्व के अनेक महत्वपूर्ण व्यक्तियों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वे नि:शक्त होते हुए भी अपनी अभूतपूर्व प्रतिभा का परिचय देकर संसार को चकित किया। राज्यपाल ने कहा कि नि:शक्तजनों को उनके माता-पिता, अभिभावकों, समाज के लोगों तथा संस्थाओं द्वारा पर्याप्त प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।
राज्यपाल ने श्री विनय मित्र के कार्यो की सराहना की और कहा कि संस्था ऐसे प्रयास करें जिससे इसका लाभ अधिक से अधिक पीड़ित लोगों तक पहुंच सकें। उन्होंने कहा कि संतों एवं महापुरूषों ने जिस सहिष्णुता, आपसी सहयोग, मानव सेवा एवं प्रेम का संदेश दिया है उन्हें मूर्त स्वरूप देने का प्रयास इस संस्था द्वारा किया गया है।
कार्यक्रम में श्री विनय मित्र मंडल के अध्यक्ष श्री नरेन्द्र शर्राफ ने स्वागत भाषण में संस्था द्वारा संचालित गतिविधियों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि संस्था द्वारा अब तक ग्यारह हजार लोगों को जयपुर पैर का वितरण किया गया है। और इस शिविर में लगभग दो सौ नि:शक्तजनों को सहायता उपकरण सामग्री उपलब्ध कराई गई है। उन्होंने बताया कि संस्था द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में भी काम किया जा रहा है। कार्यक्रम के अंत में संस्था के सचिव श्री महावीर मालू ने आभार प्रदर्शन किया। इससे पहले राज्यपाल श्री दत्त ने सदर बाजार स्थित जैन मंदिर परिसर पहुंचकर नि:शक्त जनों के लिए स्थापित अस्थाई उपकरण वर्कशॉप का अवलोकन किया।