दस हजार से ज्यादा आदिवासी युवाओं को मिली सरकारी नौकरी
रायपुर, 24 जनवरी 2017/ संविधान की पांचवीं अनुसूची के आदिवासी बहुल 12 जिलों में रमन सरकार का एक ऐतिहासिक फैसला वहां के स्थानीय युवाओं के लिए वरदान साबित हो रहा है। सिर्फ पांच वर्ष पहले लिए गए इस फैसले के फलस्वरूप सरगुजा और बस्तर राजस्व संभागों के इन जिलों के दस हजार से ज्यादा युवाओं को सरकारी नौकरी मिल चुकी है और उनके घर-परिवारों में आर्थिक सुरक्षा का बेहतर वातावरण बना है।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में आज यहां मंत्रिपरिषद की बैठक में इस फैसले को दो साल और बढ़ाने का निर्णय लिया गया। यह फैसला जनवरी 2012 में लिया गया था। अब यह 31 दिसम्बर 2018 तक लागू रहेगा। इसके अनुसार दोनों संभागों के जिलों में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के सीधी भर्ती के रिक्त पदों पर उसी जिले के युवाओं को भर्ती में प्राथमिकता देने का प्रावधान किया गया है। इस प्रकार के पदों के लिए जिला संवर्ग बनाकर स्थानीय भर्ती शुरू होने पर अब वहां के युवाओं को ऐसे पदों के लिए बाहर आवेदन करना और आना-जाना नहीं पड़ता। स्थानीय भर्ती नियमों के फलस्वरूप उन्हें अपने ही जिले में नौकरियां मिलने लगी हैं। सरगुजा संभाग के जशपुर, बलरामपुर-रामानुजगंज, कोरिया (बैकुण्ठपुर), सरगुजा और सूरजपुर तथा बस्तर संभाग के कांकेर, कोण्डागांव, नारायणपुर, बस्तर (जगदलपुर), दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा जिलों के स्थानीय युवाओं को अब अपने जिला संवर्गों में सरकारी पदों पर भर्ती होकर आत्मनिर्भरता के साथ राज्य और देश की सेवा का भी अवसर मिलने लगा है। इन्हीं युवाओं में बस्तर जिले की कुमारी कुसुम ध्रुव भी शामिल हैं, जो 07 जनवरी 2013 से वहां के कलेक्टोरेट में सहायक ग्रेड तीन के पद पर आवक-जावक शाखा में काम कर रही हैं। उन्होंने बताया कि वे इसके पहले जनपद पंचायत में संविदा कर्मचारी थीं और अपने भविष्य को लेकर हमेशा चिंतित रहती थी, लेकिन राज्य सरकार के फैसले का लाभ लेकर उन्होंने नियमानुसार आवेदन किया और उन्हें सहायक ग्रेड तीन के पद पर नौकरी मिल गई। जगदलपुर कलेक्टोरेट में ही सामान्य शाखा में कार्यरत श्री संपत राम बघेल को 08 जनवरी 2013 को इस फैसले के अनुरूप पहली नियुक्ति मिली। वहीं कलेक्टोरेट में निर्वाचन शाखा में कार्यरत सहायक ग्रेड तीन श्री रीतेश कश्यप को 03 जनवरी 2013 को इस पद पर नियुक्ति मिली। कुमारी लिखेश्वरी मेडिया पहले स्वास्थ्य विभाग में संविदा कर्मचारी थीं और वे भी अपने भविष्य को लेकर चिंतित रहती थी, लेकिन राज्य सरकार के फैसले का उन्हें लाभ मिला और उन्हें सहायक ग्रेड तीन के पद पर 08 जनवरी 2013 को नौकरी मिल गई। वे अब विकासखण्ड बास्तानार में कार्यरत हैं। उधर सरगुजा राजस्व संभाग में भी युवाओं को इसका लाभ मिल रहा है। जिला मुख्यालय अम्बिकापुर (सरगुजा) निवासी कुमारी पूर्णिमा कश्यप को राज्य शासन के निर्णय के अनुरूप स्थानीय भर्ती का लाभ मिला है और वे भी शासकीय सेवा में आ गई हैं। उन्हें अम्बिकापुर कलेक्टोरेट में सहायक ग्रेड तीन के पद पर नियुक्त मिली है। ये सभी युवा और उनके परिजन रमन सरकार के प्रति आभार प्रकट करते हैं।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में आज दोपहर मंत्रालय में केबिनेट की बैठक में आदिम जाति और अनुसूचित जाति विकास विभाग के उस प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया, जिसमें बस्तर और सरगुजा राजस्व संभागों के सभी जिलों में छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्तें) नियम 1961 के अनुसार स्थानीय भर्ती के वर्तमान प्रावधानों को 31 दिसम्बर 2018 तक जारी रखने का निर्णय लिया गया। इसके अंतर्गत दोनों संभागों के सभी जिलों में विभिन्न विभागों द्वारा जिला संवर्गों में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के सीधी भर्ती वाले पदों में सिर्फ स्थानीय निवासियों की भर्ती की जाएगी। सबसे पहले यह निर्णय 17 जनवरी 2012 को लिया गया था, जो 16 जनवरी 2014 तक प्रभावशील था। इसके बाद 17 फरवरी 2014 और 28 जनवरी 2015 के फैसले के अनुरूप इसकी अवधि बढ़ाई गई। यह अवधि 16 जनवरी 2017 को समाप्त हो चुकी थी। आदिम जाति और अनुसूचित जाति विकास विभाग से मिली जानकारी के अनुसार विगत पांच वर्ष में दोनों संभागों में दस हजार से ज्यादा युवाओं को इस फैसले के तहत सरकारी सेवाओं में नियुक्ति मिली है। इनमें से सर्वाधिक छह हजार 734 युवा बस्तर संभाग के और चार हजार 112 युवा सरगुजा संभाग के हैं। बस्तर संभाग में नियुक्ति प्राप्त इन युवाओं में से 2721 को तृतीय श्रेणी के और 4013 को चतुर्थ श्रेणी के पदों पर सीधी नियुक्ति मिल गई है। सरगुजा संभाग में 1729 युवाओं को तृतीय श्रेणी के पदों पर और 2398 युवाओं को चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नौकरी मिल चुकी है।