चीन-पाक मिलकर लूट रहे हैं ब्लोचिस्तान का प्राकृतिक खजाना
चीन की उपस्थिति से भड़के बलूच : बलूच जनता चीन की उपस्थिति और अपनी उपेक्षा से और भड़क गई। पाकिस्तानी फौज ने इस नाराजगी को दबाने के लिए बर्बर कार्रवाई का रास्ता अपनाया और हजारों बलूचों को मौत के घाट उतार दिया। आखिरकार मजबूर होकर 2004 में बलूच अलगाववादियों ने हमला कर 3 चीनी इंजीनियरों को मार दिया और इस संघर्ष को पूरे इलाके में फैला दिया।
बलूचों से समझौता: 2005 में बलूच सियासी लीडर नवाब अकबर खान और मीर बलूच मर्री ने ब्लोचिस्तान की स्वायत्तता के लिए पाकिस्तान सरकार को 15 सूत्री एजेंडा दिया। इनमें प्रांत के संसाधनों पर स्थानीय नियंत्रण और फौजी ठिकानों के निर्माण पर प्रतिबंध की मांग प्रमुख थी। इसी दौरान 15 दिसंबर 2005 को पाकिस्तानी फ्रंटियर कॉर्प्स के मेजर शुजात जमीर डर और ब्रिगेडियर सलीम नवाज के हेलीकॉप्टर पर कोहलू में हमला हुआ और दोनों घायल हो गए। बाद में पाकिस्तान ने नवाब अकबर खान बुगती को परवेज मुशर्रफ पर रॉकेट हमले का दोषी मानते हुए उन पर हमला किया। पाकिस्तानी फौज से लड़ते हुए नवाब अकबर खान शहीद हो गए।
इसके बाद पाकिस्तान के अत्याचार और बढ़ गए। अप्रैल 2009 में बलूच नेशनल मूवमेंट के सदर गुलाम मोहम्मद बलूच और दो अन्य नेताओं लाला मुनीर और शेर मुहम्मद को कुछ बंदूकधारियों ने एक छोटे-से दफ्तर से अगवा कर लिया। 5 दिन बाद 8 अप्रैल को गोलियों से बिंधे उनके शव एक बाजार में पड़े पाए गए। इस वारदात से पूरे ब्लोचिस्तान में हफ्तों तक बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों और हिंसा तथा आगजनी का दौर चला। आखिर इसका नतीजा यह हुआ कि 12 अगस्त 2009 को कलात के खान मीर सुलेमान दाऊद ने खुद को ब्लोचिस्तान का शासक घोषित कर दिया और आजाद ब्लोचिस्तान काउंसिल का गठन किया।
इसी काउंसिल के धन्यवाद प्रस्ताव का जिक्र प्रधानमंत्री मोदी ने अपने लाल किले के भाषण में किया। इसके दायरे में पाकिस्तान के अलावा ईरान के इलाकों को भी शामिल किया गया लेकिन अफगानिस्तान वाले हिस्से को छोड़ दिया गया। काउंसिल का दावा है कि इसमें नवाबजादा ब्रहमदाग बुगती सहित सभी गुटों का प्रतिनिधित्व है। सुलेमान दाऊद ने ब्रिटेन का आह्वान किया कि ब्लोचिस्तान पर गैरकानूनी कब्जे के खिलाफ विश्व मंच पर आवाज उठाने की उसकी नैतिक जिम्मेदारी है।
ब्लोचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों पर चीनियों और पाकिस्तानियों का कब्जा : बलूच लोगों को सबसे अधिक यह बात परेशान कर रही है कि उनके संसाधनों का दोहन पाकिस्तान और चीन कर रहा है और उनके हिस्से में कुछ भी नहीं आ रहा है। न उनके लोगों को रोजगार है, न शिक्षा, न बिजली-पानी और न ही संसाधनों का कुछ हिस्सा जिसके चलते उन्हें गुरबत में जीना पड़ रहा है।
ब्लोचिस्तान में प्राकृतिक गैस के भंडार के अलावा यूरेनियम, पेट्रोल, तांबा और ढेर सारी दूसरी धातुएं भी हैं। यहां के सुई नामक जगह पर मिलने वाली गैस से पूरे पाकिस्तान की आधी से ज्यादा जरूरत पूरी होती है लेकिन इसके बदले स्थानीय बलूची लोगों को न तो रोजगार मिला और न ही रॉयल्टी। हालांकि दिखावे के लिए दी गई रॉयल्टी भी यह कहकर वापस ले ली जाती है कि गैस निकालने की लागत अधिक है। इससे बलूचिस्तान पर कर्ज बढ़ता जा रहा है। ब्लोचिस्तान पर पाकिस्तान अपनी हुकूमत तो चलाना चाहता है लेकिन बलूची लोगों को राजनीतिक या आर्थिक अधिकार देने को तैयार नहीं लिहाजा ब्लोचिस्तान में विरोध की आवाज बुलंद हो गई है जिसे दबाना अब पाक के बस की बात नहीं।
बलूचों के बारे में कहा जाता है कि वे मरने के लिए तैयार हैं, लेकिन झुकने के लिए नहीं। एक अकेले बलूच ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की तकरीर में आजादी के नारे लगाए थे लेकिन सेना और पुलिस उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकी। बलूचों की इसी जिद के चलते आज तक आजादी का संघर्ष अववरत जारी है। एक बलूच का कहना है कि पाकिस्तानी फौज हम पर जितने जुल्म करेगी हम भी उतनी ही ताकत से और उभरकर सामने आएंगे। वे हमारी बहनों-बेटियों के साथ बलात्कार करते हैं, हमारे बच्चों को मौत के घाट उतार दे रहे हैं। हमारा अस्तित्व खत्म करने पर आए हैं तो हम क्या करेंगे? हम भी उनको नहीं छोड़ेंगे। हम मरते दम तक लड़ेंगे।
Great Information. Well done Lalit Ji