अनिवार्य सेवानिवृत्ति के अभ्यावेदनों पर विचार करने तीन समितियों का गठन
रायपुर, 7 मई 2018/ राज्य सरकार ने 50 वर्ष की आयु अथवा 20 वर्ष की सेवा पूर्ण करने बाद अनिवार्य सेवानिवृत्त किए गए शासकीय सेवकों द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदनों पर विचार करने के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिया है।
सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि इस संबंध में मंत्रालय (महानदी भवन)से विभाग द्वारा अध्यक्ष राजस्व मंडल सहित शासन के सभी विभागों, विभागध्यक्षों, संभागीय कमिश्नरों और जिला कलेक्टरों को इस महीने की पांच तारीख को परिपत्र जारी किया है।
परिपत्र में अभ्यावेदनों पर विचार करने के लिए प्रक्रिया निर्धारित करते हुए अभ्यावेदन समितियों का गठन किया गया है. परिपत्र में कहा गया है कि जिन शासकीय सेवकों को 25 अप्रैल 2017 के निर्देशों के अनुपालन में छानबीन समिति की अनुशंसा के आधार पर अनिवार्य सेवानिवृत्त किया जाएगा, वे अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश की तारीख से तीन सप्ताह के भीतर अपने नियुक्तिकर्ता प्राधिकारी को अभ्यावेदन प्रस्तुत करेंगे।
ऐसे शासकीय सेवक जिनको छानबीन समिति की अनुशंसा के आधार पर प्रशासकीय विभाग द्वारा अनिवार्य सेवानिवृत्त किया गया हो, वे भी इस परिपत्र के जारी होने की तारीख अर्थात पांच मई 2018 से एक माह के भीतर नियुक्तिकर्ता प्राधिकारी को अभ्यावेदन प्रस्तुत कर सकेंगे।
नियुक्तिकर्ता प्राधिकारी निर्धारित समय-सीमा में प्राप्त अभ्यावेदनों का परीक्षण करेंगे कि अभ्यावेदन में क्या ऐसा कोई नया तथ्य अथवा तथ्यों से संबंधित पहलू दर्शाया गया है, जिस पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति के संबंध में विचार करते समय विचार नहीं किया गया हो।
ऐसा परीक्षण अभ्यावेदन प्राप्त होने के दो सप्ताह के भीतर पूर्ण कर लिया जाएगा। अभ्यावेदनों के परीक्षण के बाद नियुक्तिकर्ता प्राधिकारी अपने अभिमत के साथ उन्हें अभ्यावेदन समिति के सदस्य-सह-संयोजक को अग्रेषित किया जाएगा, जो समिति की बैठक दो सप्ताह के भीतर आयोजित करने की कार्रवाई करेंगे।
परिपत्र के अनुसार राज्य सरकार ने नियुक्तिकर्ता प्राधिकारियों से प्राप्त होने वाले अभ्यावेदनों पर विचार करने के लिए तीन स्तरीय अभ्यावेदन समितियों का गठन किया है। पहली समिति विभागध्यक्षों से प्राप्त अभ्यावेदनों के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनाई गई है।
इसमें वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव तथा विधि विभाग के प्रमुख सचिव सदस्य के रूप में शामिल हैं। सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव इस समिति के सदस्य-सह-संयोजक बनाए गए हैं। दूसरी अभ्यावेदन समिति प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों के अभ्यावेदनों के लिए बनाई गई है।
इसमें मुख्य सचिव द्वारा नामांकित अपर मुख्य सचिव अध्यक्ष होंगे, संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव/सचिव सदस्य-सह-संयोजक तथा सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव/सचिव सदस्य के रूप में शामिल रहेंगे।
तीसरी समिति तृतीय और चतुर्थ श्रेणी सेवा के कर्मचारियों के अभ्यावेदनों के लिए गठित की गई है। इसमें सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव अध्यक्ष के रूप में और प्रशासकीय विभाग के सचिव सदस्य के रूप में शामिल किए गए हैं। संबंधित विभाग के विभागाध्यक्ष इस समिति के सदस्य-सह-संयोजक बनाए गए हैं।
परिपत्र में बताया गया है कि इन समितियों के द्वारा अभ्यावेदनों पर दो सप्ताह के भीतर विचार कर अपनी अनुशंसा संबंधित प्रशासकीय विभाग को भेजी जाएगी। अनिवार्य सेवानिवृत्त किए गए शासकीय सेवकों के अभ्यावेदनों पर समितियों द्वारा की गई अनुशंसा पर प्रशासकीय विभाग द्वारा अंतिम निर्णय समन्वय में मुख्यमंत्री के अनुमोदन पर लिया जाएगा।
यदि किसी प्रकरण में यह तय किया जाता है कि जिस व्यक्ति को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त किया गया है, उसे उसके द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन पर विचार करने के बाद पुनः सेवा में लिया जाए, तो अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्ति की तारीख और पुनः सेवा में लेने के बीच की अवधि का नियमितीकरण मूलभूत नियम 54 (बी) में उल्लेखित प्रावधानों के अनुसार किया जाएगा।
अगर किसी शासकीय सेवक द्वारा अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश तामिल होने के बाद अभ्यावेदन प्रस्तुत किया जाता है, लेकिन उसके द्वारा न्यायालय से स्थगन प्राप्त कर लिया गया है, तो न्यायालयीन प्रकरण का निर्णय होने तक अभ्यावेदन पर विचार नहीं किया जाएगा।