कालेज छात्राओं के मुफ़्त शिक्षा के फ़ैसले पर सोशल मीडिया की उत्साहजनक प्रतिक्रिया

रायपुर, 13 जुलाई 2014/कॉलेजों में स्नातक कक्षाओं तक बालिकाओं को निःशुल्क शिक्षा देने के छत्तीसगढ़ सरकार का ऐतिहासिक फैसला सोशल मीडिया मंे भी छा गया है। रमन सरकार के इस फैसले को लेकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीयों की उत्साहजनक प्रतिक्रिया सोशल मीडिया में देखी जा रही है। ब्लॉग जगत और फेसबुक में सक्रिय लगभग सभी प्रबुद्ध नागरिकों ने फैसले को मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रदेश की बालिकाओं को दी गई एक बड़ी सौगात बताया है। रायपुर जिले के अभनपुर निवासी हिन्दी के प्रसिद्ध ब्लॉग लेखक और फेसबुक में सक्रिय साहित्यकार श्री ललित शर्मा ने चैटिंग के माध्यम से राज्य सरकार के इस निर्णय के बारे में देश-विदेश के भारतीय नागरिकों से सम्पर्क कर उनकी टिप्पणियों को संकलित किया है। 

उल्लेखनीय है कि उच्च शिक्षा मंत्री श्री प्रेम प्रकाश पाण्डेय ने रमन सरकार के घोषणा पत्र और मुख्यमंत्री की बजट घोषणा का उल्लेख करते हुए अधिकारियों को उस पर त्वरित अमल के निर्देश दिए थे। उनके निर्देश पर इस संबंध में आदेश जारी हो गया है। राज्य सरकार के इस महत्वपूर्ण कदम पर स्वयं हिन्दी ब्लॉगर श्री ललित शर्मा की टिप्पणी है – शिक्षित माता सभ्य एवं सुसंस्कृत संतान का निर्माण कर राष्ट्र की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान देती है। छत्तीसगढ़ सरकार ने नारी शिक्षा के महत्व को समझते हुए सभी शासकीय महाविद्यालयों की बीए, बी कॉम, बी एस सी, बी एच एस सी तथा तकनीकी कालेजों में बीई एवं पालिटेक्निक की छात्राओं के लिए निःशुल्क शिक्षा की सुविधा लागू कर दी है। यह इस नये राज्य की बालिकाओं को शिक्षित करने की दिशा में क्रांतिकारी कदम माना जा सकता है। यह प्रयास नारी शिक्षा की दिशा में उल्लेखनीय होगा।

छत्तीसगढ़ सरकार के इस निर्णय पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए रियाद (सऊदी अरब) से सुश्री मीनाक्षी धन्वंतरी कहती हैं कि – समाज के विकास में शिक्षित औरत का होना बेहद जरूरी है चाहे वह घर-बार परिवार बच्चे सभाँले या बाहर कमाने जाए। जब तक हमारे अन्दर ये भावना नहीं पनपेगी सब कोशिशें बेकार हैं। एक नारी का पढ़ना पूरे परिवार को सुन्दर रूप दे देता है।

पेशे से ज्योतिषी मॉरिशस निवासी सुश्री कुन्ती मुखर्जी का अभिमत है – भारत के गाँवों में अगर  शिक्षा का प्रचार करना है तो वहां की बालिकाओं के प्रति विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। शहर में गरीब से गरीब भी अपनी बच्ची को स्कूल भेजते है। इस निर्णय से स्त्री शिक्षा और बेहतर हो जाएगी।.लोग शिक्षित होते जाऐगे तो.लोगों की मानसिकता में परिवर्तन होगा। छत्तीसगढ़ सरकार के इस निर्णय से हाँ ! .मुझे बहुत खुशी है।

लंदन में निवास कर रही स्वतंत्र पत्रकार सुश्री शिखा वार्ष्णेय छत्तीसगढ़ सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए कहती हैं कि – स्नातक शिक्षा निःशुल्क करने से यह फायदा अवश्य होगा कि जो बालिकाएं आर्थिक रूप से असमर्थ होने के कारण उच्च शिक्षा नहीं ले पातीं थीं वे अब पढ़ सकेंगी और देश के विकास में भी अपना योगदान दे सकेंगी।

हिमाचल विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अध्ययन केन्द्र धर्मशाला के सहायक प्राध्यापक श्री केवल राम कहते हैं कि -डॉ. रमन सिंह की सरकार के इस प्रभावी निर्णय का छत्तीसगढ़ में बालिकाओं की शिक्षा पर सकारात्मक असर पडे़गा। लड़कियों को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहन मिलेगा और नारी शिक्षा की स्थिति में और अधिक वृद्धि होगी, जिसके लिए सरकार की जितनी सराहना की जाए कम है साथ ही महाविद्यालय तक पहुँचने का मार्ग भी उतना ही सरल होना चाहिए।

नागपुर (महाराष्ट्र) की साहित्यकार श्रीमती संध्या शर्मा की टिप्पणी है- राज्य सरकार के इस निर्णय से छत्तीसगढ़ में आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की बेटियां अपनी आगे की पढाई सुचारू रूप से जारी रख सकेंगी धन के आभाव अक्सर माता-पिता उच्च शिक्षा दिलाने की बजाए बेटियों का विवाह कर देते है।  सबसे ज्यादा असर तो उन स्त्रियों पर होगा जो विवाहित हैं, और आगे पढने की इच्छा होने पर भी नही पढ़ सकती। क्योंकि आजकल शिक्षा इतनी महंगी हो गई है कि वे बच्चों को पढ़ाएं या खुद पढ़ें। फीस माफ होने से विवाहित महिलाओं के लिए भी उच्च शिक्षा का मार्ग आसान हो गया है। काश! देश की अन्य राज्य सरकारें भी छत्तीसगढ़ के इस निर्णय का अनुकरण करें।

मानविकी एवं सामजिक विज्ञान विभाग ग्रेटर नोयडा कॉलेज के सहायक प्राध्यापक डॉ पवन विजय के अनुसार स्त्री शिक्षा प्रमुख समस्या अर्थाभाव नही बल्कि लैंगिक भेद वाली मानसिकता है। कॉलेज स्तर की पढ़ाई में फीस माफी से निश्चित रूप से स्त्री शिक्षा के प्रतिशत में बढ़ोत्तरी होगी, लेकिन इसके पूरक कार्यक्रम के रूप में जन-जागरण अभियान भी चलाया जाना अति आवश्यक है।

किसी राष्ट्र के उत्थान एवं विकास में महिला शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इस बात को नकारा नहीं जा सकता। आजादी के बाद कुछ दशकों में महिला शिक्षा के क्षेत्र में वृद्धि होने से देश विकास की ओर अग्रसर हुआ है। महिलाओं के शिक्षित होने से मानव संसाधन में वृद्धि, बालिका शिक्षा को प्रेरणा, शिशु मृत्यु दर में कमी, जनसंख्या नियंत्रण के साथ कामकाज एवं पारिवारिक वातावरण में परिवर्तन हुआ है। अगर नारी को शोषण और अत्याचारों के दायरे से मुक्त करना है तो सबसे पहले उसे शिक्षित करना होगा चूकिं शिक्षा का अर्थ केवल अक्षर ज्ञान नहीं होता अपितु शिक्षा का अर्थ जीवन के प्रत्येक पहलू की जानकारी होना है एवं अपने मानवीय अधिकारों का प्रयोग करने की समझ होना है। शिक्षा सफलता की कुँजी है तथा इसी कुंजी के प्रयोग से ही ’नारी पढेगी विकास गढ़ेगी’ नारा फलीभूत हो सकता है।

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