संसद बना अखाड़ा है – सप्ताह की कविता
समसामयिक राजनीति, समाज और सत्ता की विडंबनाओं पर आधारित एक प्रभावशाली व्यंग्यात्मक कविता — सोच को झकझोर देने वाली रचना।
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