मुख्यमंत्री ने दिए जनशिकायतों के निराकरण में तेजी लाने के निर्देश

रायपुर, 17 जून 2014/ आम जनता की विभिन्न समस्याओं और शिकायतों के त्वरित और प्रभावी निराकरण के लिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने वरिष्ठ अधिकारियों को प्रक्रिया में और भी अधिक तेजी लाने तथा प्रक्रिया की लगातार निगरानी के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से यह भी कहा है कि जन-शिकायतों का त्वरित और समय पर निराकरण राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। जनता के रूके हुए आवेदनों पर तत्परता से निर्णय होना चाहिए। मुख्यमंत्री के दिशा निर्देशों के अनुरूप सामान्य प्रशासन और जन शिकायत निवारण विभाग ने यहां मंत्रालय (महानदी भवन) से सभी विभागों के अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों और सचिवों को ताजा परिपत्र जारी किया है।

मुख्यमंत्री के निर्देशों का उल्लेख करते हुए परिपत्र में कहा गया है कि शासन-प्रशासन को जनोन्मुखी और संवेदनशील बनाने तथा आम जनता से सरकार की दूरियां कम करने के लिए लोक शिकायतों पर शीघ्र कार्रवाई सुनिश्चित की जानी चाहिए। इसके अंतर्गत लोगों के आवेदनों के निराकरण के लिए प्रत्येक विभाग में सुव्यवस्थित तंत्र विकसित करने, नोडल अधिकारी नामांकित करने, आवेदन पत्रों के सुव्यवस्थित रख-रखाव के लिए कम्प्यूटरीकृत प्रोग्रामिंग सुनिश्चित करने आवेदकों को उनके आवेदनों पर की गई कार्रवाई की सूचना देने शासकीय सेवकों के आवेदन पत्रों के निराकरण की कार्रवाई करने, वीडियो कांफ्रेंसिंग के प्रकरणों पर कार्रवाई आदि शामिल हैं। इन दिशा निर्देशों के अनुरूप विभागों में कार्य प्रणाली विकसित करने के लिए भी कई बार निर्देश दिए गए हैं।
परिपत्र में कहा गया है – लोक-अर्जियों में प्रायः इस बात की शिकायत भी आम जनता को रहती है कि शासन-प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद उनकी बातों को सुनने वाला कोई नहीं है, इसलिए विभागों से संबंधित जनशिकायतों को सीधे शासन स्तर पर सुनने और उनका निराकरण करने की जरूरत है। इसके लिए परिपत्र में प्रत्येक विभाग को उनकी विभागीय वेबसाइट के होम पेज पर आम जनता की शिकायतें दर्ज करने का एक आप्शन भी भविष्य में उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है। सामान्य प्रशासन और जन शिकायत निवारण विभाग के इस ताजा परिपत्र के अनुसार विभागीय समीक्षा में यह पाया गया है कि कुछ विभागों में इन दिशा निर्देशों के अनुरूप कार्य प्रणाली विकसित नहीं की गई है। परिपत्र में अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों और सचिवों से कहा गया है कि वे स्वयं आम जनता के आवेदन पत्रों के निराकरण के लिए मॉनिटरिंग की पहल करें और अपने अधीनस्थ अधिकारियों और कार्यालयों से जन शिकायत निवारण विभाग के दिशा निर्देशों का पालन करवाना सुनिश्चित करें। परिपत्र में यह भी कहा गया है कि लोगों के आवेदनों पर कार्रवाई की सतत मॉनिटरिंग के लिए जन शिकायत निवारण विभाग ने पहले भी कई बार संबंधित विभागों को यह निर्देश दिए है कि इसके लिए मंत्रालय में कम से कम अवर सचिव स्तर के अधिकारी को नोडल अधिकारी नामांकित किया जाए। कुछ विभागों ने ऐसा किया भी है। नोडल अधिकारियों का यह दायित्व होगा कि वे अपने विभाग में निराकृत मामलों के बारे में हर माह के पहले हते में जन शिकायत निवारण विभाग को अवगत कराएं। इसके लिए विभागवार नोडल अधिकारियों की सुविधा की दृष्टि से प्रथम सप्ताह के दिन भी निर्धारित कर दिए गए हैं। भविष्य में प्रकरणों के गुम होने या अन्य अव्यवस्थित कार्य प्रणाली होने पर संबंधित नोडल अधिकारी अथवा अन्य अधिकारियों की जवाबदेही भी सुनिश्चित की जाए। परिपत्र में मुख्यमंत्री के ग्राम सुराज अभियान सहित अन्य कार्यक्रमों में प्राप्त जनता के आवेदन पत्रों के निराकरण पर भी अधिकारियों को ध्यान देने के लिए कहा गया है। परिपत्र में बताया गया है कि मुख्यमंत्री ने समय-समय पर कलेक्टर कांफ्रेंस में भी इसकी समीक्षा की है। ग्राम सुराज अभियान, मुख्यमंत्री एवं कलेक्टरों के जनदर्शन कार्यक्रम, नगर सुराज अभियान आदि में प्राप्त आवेदन पत्रों को शासन स्तर पर निराकरण के लिए भेजा गया है। ऐसे प्रकरणों में अगर बजट संबंधी मांग या नीतिगत विषय हों तो इस बारे में अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव अपनी विभागीय आवश्यकता के अनुरूप जल्द से जल्द कार्रवाई सुनिश्चित करें और अगर बजट संबंधी मांग या नीतिगत मामला नहीं है तो उसके निराकरण के लिए शासन स्तर या प्रशासकीय विभाग से मार्गदर्शन मांगा गया हो तो वे तत्काल उन्हें मार्गदर्शन दे ताकि निराकरण जल्द हो सकें।
परिपत्र में बताया गया है कि राज्य शासन द्वारा लोक शिकायतों के तत्काल और प्रभावी निराकरण के लिए मंत्रालय (महानदी भवन) में वीडियो कॉफ्रेंसिंग की भी व्यवस्था की गई है। मंत्रालय के वीडियो कॉफ्रेंसिंग कक्ष क्रमांक एम.आई. 10 से राज्य के सभी 27 जिला मुख्यालयों को जोेड़ा गया है और जिलेवार सप्ताह के दिन निर्धारित कर जन शिकायतों की सुनवाई भी की जा रही है। परिपत्र में कहा गया है कि कई अवसरों पर वीडियो कॉफ्रेंसिंग में प्रकरणों के निपटारे के लिए संबंधित विभाग के मार्गदर्शन अथवा निर्देश की जरूरत होती है। परिपत्र में कहा गया है कि इसके लिए संबंधित विभागों के सचिवों अथवा उनकी अनुपस्थिति में विभाग के वरिष्ठ अधिकारी को वीडियो कॉफ्रेंसिंग में उपस्थित होना चाहिए। लेकिन कुछ विभागों द्वारा इसमें अपने अनुभाग अधिकारी अथवा किसी लिपिक को भेज दिया जाता है। इससे प्रकरण का प्रभावी और सक्षम निराकरण नहीं हो पाता। परिपत्र में अधिकारियों को वीडियो कॉफ्रेंसिंग के प्रकरणों में इसका ध्यान रखने और संबंधितों से निर्देशों का पालन करवाने भी कहा गया है।
परिपत्र में यह भी कहा गया है कि लोकशिकायतों के प्रकरणों में बड़ी संख्या में एक भाग सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों का भी शामिल रहता है, जिनमें पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर अधिकारियों द्वारा अधीनस्थों पर कार्रवाई करने, जानबूझकर अवकाश नहीं देने, पेंशन प्रकरणों को लंबित रखने, जीपीएफ के भुगतान और अनुकम्पा नियुक्ति में विलंब, चिकित्सा देयकों को रोकने सहित कई विषय शामिल हैं। परिपत्र में अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों और सचिवों से कहा गया है कि वे अपने-अपने विभागों में इसके लिए सुव्यवस्थित तंत्र विकसित करें, ताकि इस प्रकार की शिकायतों में कमी आए।

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