एचआईवी, एड्स संक्रमितों का होगा निः शुल्क उपचार

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ में एचआईवी,एड्स से संक्रमितों का निःशुल्क इलाज किया जाएगा। एड्स पीड़ितों के साथ भेदभाव करने वाले लोगों पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसके लिए विभाग द्वारा लोकपाल की नियुक्ति की जाएगी। यह जानकारी आज यहां स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव श्री सुब्रत साहू ने एचआईवी, एड्स अधिनियम-2017 पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला के शुभारंभ सत्र में दी।

कार्यशाला में श्री राजेश राणा (एडी मीडिया नाको) नई दिल्ली ने बताया कि एचआईवी एड्स बिल 2014 को राज्य सभा द्वारा 21 मार्च 2017 को पारित किया गया था। यह विधेयक 11 अप्रैल 2017 को लोकसभा द्वारा पारित किया गया। अधिनियम को 21 अप्रैल 2017 को राजपत्र पर अधिसूचित किया गया था। इस संबंध में छत्तीसगढ़ में एचआईवी एड्स नियंत्रण एवं बचाव के प्रति सभी विभागों के सहयोग से एक रूपरेखा (ड्राफ्ट) तैयार किया जा रहा है। इसके लिए सभी विभागों के प्रमुखों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये। वहीं इस अधिनियम के परिपालन में एक लोकपाल की नियुक्ति भी किया जाना प्रावधानित है।
स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव श्री सुब्रत साहू ने अपने उदबोधन में छत्तीसगढ़ की पृष्ठ भूमि में किस तरीके से प्रावधान रखना है, उस पर बल दिया गया। उन्होने कहा कि प्रदेश में ऐसा प्रावधान बनाया जाए जो पूरी तरह प्रयोगात्मक व तथ्यात्मक हो। कार्यशाला कि अध्यक्षता करते हुए स्वास्थ्य संचालक एवं परियोजना संचालक छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियंत्रण समिति श्रीमति रानू साहू ने बताया कि एचआईवी संक्रमितों का मुफ्त उपचार, एवं दवाईयां दिया जा रहा है। प्रदेश में करीब 29 हजार एचआईवी संक्रमित हैं, जिनमें 13 हजार से अधिक एचआईवी संक्रमितों को निःशुल्क दवा, 5 एआरटी केन्द्र व 12 लिंक एआरटी तथा एक एआरटी प्लस केन्द्र से उपलब्ध कराई जा रही है । छत्तीसगढ़ में एचआईवी एड्स बिल को लागू करने से एचआईवी संक्रमितों को लाभ पहुंचेगा ।
श्रीमती साहू ने कहा कि प्रदेश में एचआईवी संक्रमितो के प्रति भेदभाव करने के एक भी प्रकरण प्रकाश में नहीं आया है। टीवी और मलेरिया नियंत्रण में काफी सफलता प्राप्त हुई है। एचआईवी प्रकरण के मामले में भी कमी दर्ज की गई है। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार की सहायोग से माह अप्रेल में वायरल लोड टेस्टींग मशीन स्थापित किया जाएगा। एचआईवी पीड़ितोें के अधिकारोे का उल्लंघन होने की स्थिति में विधेयक में एक लोकपाल की व्यवस्था की गई है। जहां शिकायत करने पर 30 दिन के भीतर कार्यवाही किया जाएगा। अनुपालन नहीं होने की दशा में जुर्माने का प्रावधान है। एचआईवी संक्रमितों को चिकित्सकीय उपचार और सरकारी रिकार्ड में पीड़ित मरीजों के बारे में पूर्ण गोपनीयता बरती जा रही है। एचआईवी संक्रमितों को अंत्योदय अन्न योजना, फ्री बस पास, फ्री सिटी बस पास, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, नोनी सुरक्षा योजना, कौशल प्रशिक्षण आदि योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है ।
श्रीमती साहू ने बताया कि प्रदेश में 5 एआरटी केन्द्र व 12 लिंक एआरटी केन्द्र तथा 1 एआरटी प्लस की स्थापना की गई है, जहां एचआईवी संक्रमितों का निःशुल्क इलाज किया जाता है। उन्होंने बताया कि विधेयक में बताया गया कि एचआईवी, एड्स पीड़ितों और उनके बच्चों को कानूनी अधिकार सुरक्षित रखने का प्रावधान किया गया है। एचआईवी संक्रमितों के लिये गोपनीयता पूरी तरह बरती जा रही है। प्रदेश में एचआईवी से उच्च जोखिम समूह की परामर्श एवं जांच करने के लिये 125 एकीकृत परामर्श व जांच केन्द्र, 4 ओएसटी (ओपियार्ड सब्सिटियूड थैरेपी) सेंटर तथा 30 सुरक्षा क्लिनिक स्थापित किये गये हैं। प्रदेश में 35 स्वयं सेवी संगठन के माध्यम से भी उच्च जोखिम समूहों पर निगरानी रखते हुए उनकी एचआईवी जांच व संक्रमित होने पर एआरटी की दवा लेने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। कार्यशाला में उपस्थित अधिकारियों ने भी एचआईवी एड्स अधिनियम -2017 पर विचार व्यक्त किया। कार्यशाला में कार्यकारी संचालक राज्य स्वास्थ्य संसाधन केन्द्र डॉ. प्रबीर चटर्जी, अतिरिक्त परियोजना संचालक डॉ. एस.के. बिंझवार, सहित अन्य प्रतिनिधि शामिल थे।