समय तथा तनाव प्रबंधन पर 3 अगस्त को एक दिवसीय कार्यशाला रायपुर में

समय तथा तनाव प्रबंधन पर 3 अगस्त को एक दिवसीय कार्यशाला का रायपुर में आयोजन पीएचडी चेम्बर ऑफ़ कामर्स एन्ड इंड्स्ट्रीज द्वारा होटल ग्रेंड इम्पिरिया वी आई पी रोड़ रायपुर में किया जा रहा है। व्यक्ति के दैनिक जीवन में बढ़ते हुए तनाव को देखते हुए समय प्रबंधन अत्यावश्यक है। श्री सी एम कृष्णा एवं डॉ अजीत वारवंडकर इस कार्यक्रम में उपस्थित होकर उपरोक्त विषय पर मार्गदर्शन देंगें।
वर्तमान समय में हमारे जीवन को प्रभावित करने वाले दो मुख्य कारण हैं पहला तनाव तथा दूसरा समय का अकुशलतापूर्वक प्रबंधन। ये दोनों ही कारण एक दूसरे के पूरक हैं।  जब हम अपना कार्य तय समय सीमा में नहीं कर पाते तो तनाव उत्पन्न होता है और तनाव हमारे सोचने समझने की सहज क्षमता को प्रभावित करता है जिससे अनिर्णय की स्थिति उत्पन्न हो जाती है और समय बीतते जाता है।
दूसरे शब्दों में कहा जाय तो हम  सही समय पर अपनी प्राथमिकताएं तय नहीं कर पाते और वास्तविक लक्ष्य से भटक जाते हैं।हमारे आस पास न जाने कितने ऐसे लोग हैं जो बहुत से कार्य करने में सक्षम हैं तथा अपेक्षाकृत अधिक सफलता के साथ अपना  जीवन जी सकते हैं, परन्तु तात्कालिक सुविधा में उलझकर अथवा दूरदृष्टि न होने के कारण हताशा एवं असफलता के कुचक्र में फंसते चले जाते हैं।
ऐसी स्थिति में जब सभी धागे उलझ जाएँ तब शांति से बैठकर धैर्य के साथ अपनी प्राथमिकताएं तय करते हुए एक एक सिरे से समस्या की छोर पकड़ना ज्यादा आसान होता है और तभी आप उलझन को सुलझा सकते हैं।  बिना साहस गंवाए धीरज के साथ अपने बड़े लक्ष्य की ओर धीरे धीरे कदम बढ़ाना ही एकमात्र उपाय होता है।
जिस प्रकार गहन अन्धकार में चलते हुए कुछ देर तक सिर्फ अँधेरा ही दिखाई देता है, तब हमें धीरे धीरे बिना गिरे और अपनी रक्षा करते हुए धैर्य और विश्वास के साथ आगे बढ़ना होता है  फिर कुछ अंतराल के बाद टिमटिमाते तारों की रौशनी भी पर्याप्त होती है, रास्ता नजर आने लगता है। लक्ष्य तक जाने का हौसला खुद ही होने लगता है फिर धीरे धीरे समस्त अलौकिक शक्तियां आपको मार्ग दिखाती हैं।
ऐसा ही कुछ हर किसी के जीवन में कभी न कभी घटित होते रहता है।  जिस प्रकार सभी समस्याओं के समाधान होते है उसी तरह समय प्रबंधन और तनाव प्रबंधन सीखने के भी उपाय हैं। अनुभवी प्रशिक्षकों के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण प्राप्त करके इस विश्वव्यापी समस्या का समाधान हो सकता है।
जरुरत है आप के जागरूक होने की, अपने लक्ष्य के बारे में सोचने की, आत्मचिंतन करने की।  एक कहावत है कि जब जागो तब सबेरा तो आप सब से निवेदन  है कि अपने आस पास परिवार और समाज में यदि ऐसे किसी व्यक्ति को जानते हैं तो उन्हें ये सलाह जरूर दें कि “समय तथा तनाव प्रबंधन” पर 3 अगस्त की कार्यशाला में जरूर हिस्सा लें। यह कार्यशाला बिलकुल मुफ्त है तथा सभी आमजनों के लिए है।