स्पीड ब्रेकरों के प्रति शासन हुआ सख्त, स्थानीय निकायों से 15 दिन में मांगी रिपोर्ट

रायपुर/ कहीं पर दुर्घटना होने पर भीड़ की मांग पर तुरंत स्पीड ब्रेकर बना दिए जाते हैं, अधिकांश नगर गांव मुख्यमार्ग के दोनो तरफ़ बसे हैं तथा लापरवाही से दुर्घटनाएं होते रहती हैं, पर स्पीड ब्रेकर बनाना इनसे बचने का एकमात्र उपाय नहीं है।
स्पीड ब्रेकर से दुर्घट्नाएं घटती नहीं वरन बढ़ जाती हैं तथा सबसे अधिक बाईक पर पीछे बैठने वाली सवारी गिरती है। स्पीड ब्रेकरों से देश की गति कम होने के साथ इंधन भी अधिक खर्च होता है।
स्पीड ब्रेकरों का ये हाल है कि लोगों ने अपने घर के सामने बना रखे हैं। रायपुर पचपेड़ी नाका से लेकर राज्योत्सव स्थल तक के दस किमी मीटर में 28 ब्रेकर बने हुए हैं। वहीं अगर देखें तो रायपुर से जगदलपुर तक 300 किमी में 300 से अधिक ब्रेकर बने हुए हैं।
रायपुर से धरमपुरा होते हुए माना तक आठ किमी में 25 ब्रेकर बने हुए हैं, देखें तो हर किमी में एक ब्रेकर का औसत आता है। यही हाल पूरे प्रदेश का है। जहाँ कोलतार के ब्रेकर नहीं है, वहां लोग अपने घर के सामने मिट्टी का टीला बनाकर ब्रेकर बना लेते हैं।
सड़क पर नियम से चलने की बजाय ब्रेकर बनाकर गति अवरोध करना दुर्घटना का समाधान नहीं है। गति पर नियंत्रण एवं यातायात के नियमों के पालन से दुर्घटनाओं पर नियंत्रण किया जा सकता है।
रायपुर के चारों तरफ़ के रास्तों में रात को मवेशी बैठे रहते हैं, जो दुर्घटना का प्रमुख कारण हैं। मवेशियों के सड़क पर बैठने के कारण गति अवरुद्ध होती है एवं अंधेरे में नहीं दिखने के कारण वाहन चालक इनसे टकराकर दुर्घटना का शिकार होते हैं, जिसमें कईयों की जान भी चली जाती है।
जिनके मवेशी सड़क पर बैठते हैं उन्हें कड़ाई से चेतावनी दी जानी चाहिए और नहीं मानने पर जेल भेजना चाहिए। तभी इन दुर्घटनाओं पर विराम लग सकता है। स्थानीय निकायों एवं प्रशासन को इस ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।
राज्य शासन ने 168 निकायों को स्पीड ब्रेकर हटाने का आदेश जारी किया था, चार बार आदेश भेजने के बाद भी 134 निकायों ने ब्रेकर हटाने का कार्य नहीं किया है। शासन में इस बार सख्ती दिखाते हुए 15 दिन के भीतर रिपोर्ट मांगी है।

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