प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना पर एकदिवसीय सेमीनार सम्पन्न

पीएचडी चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (एमओएफपीआई) भारत सरकार के सयुक्त तत्वाधान में “प्रधान मंत्री किसान संपदा योजना” पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया है। प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना पर संगोष्ठी का उद्देश्य प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना की प्रमुख विशेषताओं को उद्योग प्रतिनिधियों, उद्यमियों तथा हितग्राहियों, स्व सहायता समूहों आदि को योजना के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान करना था।

एग्रीकल्चर समिति, पीएचडी चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री नई दिल्ली के चेयरमैन श्री व्ही के मिश्रा ने अपने स्वागत भाषण में प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना के क्रियान्वयन हेतु आवश्यक प्रचार प्रसार करने तथा चैम्बर के द्वारा किये जा रहे प्रयासों के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। श्री मिश्रा ने बताया की चैम्बर की और से फॉर्म टू फोर्क तथा एग्री हार्टी टेक जैसे आयोजन प्रतिवर्ष किये जा रहे हैं, जहाँ किसानों को नई तकनीक तथा नए खरीददारों के सम्बन्ध में अधिक से अधिक जानकारी मिलती है। उन्होंने बताया की यह योजना किसानों के हित में सरकार द्वारा बनाई गयी तमाम योजनाओं का नया तथा उत्कृष्ट वर्जन है।

सेमिनार को सम्बोधित करते हुए नाबार्ड के चीफ जनरल मैनेजर श्री एन पी महापात्र ने छत्तीसगढ़ में विभिन्न सहकारी तथा स्व सहायता समूहों द्वारा खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में हो रहे प्रयासों की सराहना की करते हुए जशपुर जिले के स्ट्रॉबेर्री, कोरबा, रायगढ़ जिले के काजू, तथा कांकेर के सीताफल उत्पादन तथा वैल्यू एडीशन से हो रहे आर्थिक लाभ के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि राजनांदगाव जिले में जिमीकंद का उत्पादन भारी मात्रा में हो रहा है जिसकी विदेशों में अब अधिक मांग होने लगी है। उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य में दो विशेष प्रजाति के चावल जिनमें कैंसर रोधी गुण पाए जाते है का भी उल्लेख अपने उद्बोधन में किया।

सी एस आई डी सी के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री सुनील मिश्रा ने बताया कि सरकार ने 14 वें वित्त आयोग चक्र की सह-समाप्ति के साथ वर्ष 2016-20 तक की अवधि के लिए 6,000 करोड़ रुपए के आवंटन से एक नई केंद्रीय क्षेत्र स्कीम-प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना (कृषि-समुद्री प्रसंस्करण एवं कृषि- प्रसंस्करण क्लस्टर विकास योजना) को अनुमोदन दिया है । इस योजना का कार्यान्वयन खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा किया जाएगा। राज्य शासन द्वारा इस हेतु मेगा फ़ूड पार्क का निर्माण किया जा रहा है जिसके अंतर्गत पतंजलि जैसी बड़ी कंपनियां प्रदेश में अपना उद्योग प्रारम्भ करने जा रही है।

वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के सचिव डॉ कमलप्रीत सिंह ने सेमिनार को सम्बोधित करते हुए कहा कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग अपने आप में एक अनूठा उद्योग है। इस उद्योग को बढ़ावा देने से किसानों को न केवल अपने उत्पादों का उचित मूल्य मिलगा बल्कि वैल्यू एडिसन टेक्निक से आय में दो से चार गुना तक की वृद्धि की जा सकेगी। उन्होंने किसानों से अनाज, फल, सब्जी आदि उचित मुख्य पर खरीदी होने से किसान लाभान्वित हो सकेंगे।

सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के जॉइन्ट सेक्रेटरी श्री अशोक कुमार ने पूरी योजना के सम्बन्ध में पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि “भारत में खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में आने वाले सालों में दुनिया भर से विदेशी निवेश में शानदार वृद्धि की संभावना है तथा भारत में तैयार खाने और इनसे सम्बंधित कच्चे माल के उत्पादन के क्षेत्रों में बड़ी संभावनाएं उभर रही हैं, जिसे ध्यान में रखते हुए प्रधान मंत्री किसान सम्पदा योजना एक व्यापक पैकेज है जिसके परिणामस्वरूप खेत से लेकर खुदरा बिक्री केंद्रों तक दक्ष आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के साथ आधुनिक संरचना का सृजन होगा।

उन्होंने कहा कि इससे, देश में न केवल खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की वृद्धि को तीव्र गति प्राप्त होगी बल्कि यह किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने तथा किसानों की आय को दुगुना करने, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के भारी अवसरों का सृजन करने, कृषि उपज की बर्बादी में कमी लाने, प्रसंस्करण तथा प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के निर्यात के स्तर को बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा ।

प्रधान मंत्री किसान संपदा योजना के अंतर्गत मेगा फ़ूड पार्क, कोल्ड चैन, खाद्य प्रसंस्करण एवं परिरक्षण क्षमताओं का सृजन/विस्तार, कृषि प्रसंस्करण क्लस्टर अवसंरचना, बैकवर्ड और फारवर्ड लिंकेजों का सृजन, खाद्य संरक्षा एवं गुणवत्ता आश्वासन अवसंरचना, तथा मानव संसाधन एवं संस्थान योजनाओं आदि का कार्यान्वयन किया जाएगा।

वी एन आर सीड्स के निदेशक श्री अरविन्द अग्रवाल ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में उपलब्ध अवसरों के सम्बन्ध में प्रतिभागितयों को बताया तथा नव उद्यमियों को यथा संभव मार्दर्शन देने की बात कही।

सेमिनार में एम् एस एम् ई डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट, भारत सरकार की और से असिस्टेंट डायरेक्टर श्री अरविंद तिवारी ने सरकार की अनुदान योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया तथा सेमिनार के अंत में क्यू सी आई (क्वालिटी कण्ट्रोल ऑफ़ इंडिया ) से विशेष रूप से उपस्थित असेसर श्रीमती सोना सिन्हा शर्मा ने खाद्य पदार्थों तथा प्रसंस्कृत उत्पादों के राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय मानकों के विषय में तथा उनके महत्व पर अपना प्रेजेंटेशन दिया।

कार्यक्रम के अंत में पी एच डी चैम्बर के छत्तीसगढ़ इकाई के श्री शशांक रस्तोगी ने धन्यवाद् ज्ञापन किया। उक्त सेमिनार में राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, प्रमुख उद्योगों के प्रतिनिधि, उद्यमी तथा स्व सहायता समूह के सदस्य तथा पी एच डी चैम्बर के छत्तीसगढ़ इकाई के चेयरमैन श्री वीनू जैन उपस्थित थे ।