छत्तीसगढ़ के मानसून के सम्मोहन से बच न सके कालीदास और रच डाला मेघदूत

ग्रीष्म ॠतु के पश्चात वर्षा ॠतु की प्रतीक्षा सभी को होती है, भीषण गर्मी से व्याकुल धरा पर जब वर्षा की फ़ूहारें पड़ती हैं तो वह नर्तन करने लगती है। धरती पर पड़े बीजों पर जब वर्षा की बूंदे पड़ती है तो वह अंगड़ाई लेकर जाग उठता है, पौधे से वृक्ष बनने के लिए बढ़ने लगता है। चातक की कूक एवं चारों ओर बगरी हरियाली, खेतों में हल चलाते किसान का पावस गीत एवं प्रात:काल में मंदिरों की घंटियों की मधुर ध्वनि वातावरण को नयनाभिराम, मनमोहक बना देती है। वर्षा काल में प्रकृति का यह अद्भुत शृंगार छत्तीसगढ़ में देखने के लिए घर से बाहर निकलना पड़ेगा।

स्वयं को पाण्डवों का वंशज मानने वाली पंडो जनजाति का युवक – उदयपुर सरगुजा

छत्तीसगढ़ एक ऐसा प्रदेश है जहाँ मुख्यमार्ग कभी बंद नहीं होते, आप जशपुर, सरगुजा के अंतिम छोर से लेकर बस्तर तक निर्बाध यात्रा कर सकते हैं। यहाँ छहों ॠतुएं अपने पूर्ण यौवन पर होती हैं, पर वर्षा ॠतु का आनंद ही कुछ और है। जब आपको हर पचास किलोमीटर में कल कल करते झरने मिल जाएंगे, इन झरनों का अद्भुत सौंदर्य मन को एकाग्र चित्त करने में पूर्ण रुप से सहायक होता है, प्रकृति में मन रम जाता है।

वर्षाकाल में छत्तीसगढ़ के वनों का सौंदर्य

अपनी वर्षाकालीन यात्रा अगर हम जशपुर से शुरु करें तो यहाँ दमेरा, दानगिरि, रानीदाह, कोटबेरिया, रजपुरी, गुल्लु, कैलाश गुफ़ा आदि झरने मनोरम दृश्य उत्पन्न करते हैं। कैलाश गुफ़ा से अम्बिकापुर की तरफ़ आएं तो छत्तीसगढ़ का शिमला कहा जाने वाले मैनपाट पहुंचते हैं। यहां आपको बादल सड़क पर विचरण करते मिल जाएंगे। मैनपाट में बहुत सारे ऐसे स्थान हैं जिन्हें आप देखे बगैर नहीं रह सकते। यहाँ मछली झरना, टायगर पाईंट झरना, चचारौना झरना, जलजली, उल्टा पानी आदि मनोरम स्थलों के दर्शन होते हैं।

भारत का नियाग्रा कहा जाने वाला सबसे चौड़ा जलप्रपात चित्रकोट-बस्तर

सरगुजा के अम्बिकापुर के रकसगंडा वाटरफ़ॉल से लेकर कोरिया के अमृतधारा, गौरघाट, पवई वाटरफ़ॉल पर्यटन का प्रमुख केन्द्र हैं। बैकुंठपुर से हम कोरबा के केंदई एवं देवपहरी वाटरफ़ॉल पहुंच सकते हैं। इसके समीप ही बुका नामक बहुत खूबसूरत जल विहार है। ट्रेकिंग हाईकिंग करना चाहें तो वन क्षेत्र में अन्य छोटे छोटे झरने भी मिल सकते हैं।

जतमई का झरना वर्षाकाल में पूर्ण यौवन पर होता है।

मध्य छत्तीसगढ़ में सियादेई वाटरफ़ॉल बालोद, हाजरा वाटर फ़ॉल दरेकसा, रानीदहरा-कवर्धा, खरखरा -डौंडी लोहारा, दमऊधारा-सक्ती तथा गरियाबंद जिले का चिंगरापगार, जगमई, घटारानी, देवधर एवं धमतरी जिले का नरहरा वाटरफ़ॉल, महासमुंद के सिरपुर के समीप धसकुड़ का झरना भी मनमोहक है।

राजधानी रायपुर से हम बस्तर की ओर चलें तो रक्षदा वाटरफ़ॉल-कांकेर, मलाजकुंड वाटर फ़ॉल – कांकेर, चर्रे-मर्रे वाटर फ़ॉल कांकेर, चित्रधारा – जगदलपुर, भारत का नियाग्रा कहाने वाला जग प्रसिद्ध चित्रकोट जलप्रपात, तीरथगढ़ जलप्रपात, तामड़ाघुमर जलप्रपात, झारालावा झरना- दंतेवाड़ा, कांगेरधारा वाटरफ़ऑल, मंडवा वाटरफ़ॉल-जगदलपुर तथा हांदावाड़ा जल प्रपात, हांदावाड़ा जल प्रपात का चुनाव बाहुबली फ़िल्मांकन के लिए किया गया था, पर किन्हीं कारणों से स्थगित कर दिया गया।

नरहरा-मगरलोड का झरना वर्षाकालीन झरना

बस्तर पहुंचकर आप दंतेवाड़ा से ढोलकल की ट्रेकिंग कर सकते हैं। यह स्थान दंतेवाड़ा से 18 किमी की दूरी पर फ़रसपाल तक वाहन से जा सकते है, फ़िर लगभग तीन घंटे की ट्रेकिंग के पश्चात यहाँ पहुंचा जा सकता है। यहाँ पहुंचने पर एकबारगी आपके मुंह वाऊऊउ ही निकलेगा। पहाड़ी के शीर्ष पर पहुंचने के पश्चात प्रतीत होगा कि धरती का स्वर्ग यहीं है।

दंतेवाड़ा के ढोलकल पर स्थापित दसवीं शताब्दी के गणपति

वर्षाकाल में छत्तीसगढ़ के वनों की हरियाली देखते ही बनती है, आंखों को सुकून के साथ मन जो भी हरिया कर जाती है। साल के ऊंचे-ऊंचे वृक्षों से प्रवाहित होती हवा जंगल की सौंधी सुंगध लेकर आती है, तो वनों की जैव विविधता किसी खोजी को नये कीट पतंगों की की खोज का आमंत्रण देती है। पहाड़ों पर उतरे हुए बादल देखकर लगता है कि विश्राम के लिए मानों कुछ पल के लिए ठहर गए हों।

सरगुजा का रामगढ़ जहाँ पावस प्रेरणा से महाकवि कालीदास ने मेघदूत रचा था।

मन करेगा कि बादलों पर सवार होकर उड़ता जाऊं एवं बादलों की सवारी का भरपूर आनंद लूं। यहाँ के बादल ऐसे वैसे नहीं, कुछ विशेष हैं। तभी तो महाकवि कालीदास ने इन बादलों से प्रभावित होकर इन्हें अपना दूत बनाया एवं रामगढ़ की उपत्यका में निवास कर संसार का अद्भुत शृंगार काव्य मेघदूत रच दिया। वे बादल आज भी रामगढ़ की उपत्यकाओं में आपको घूमते फ़िरते मिल जाएंगे।

चित्रकोट जलप्रपात बस्तर में नौका विहार का आनंद लेते पर्यटक

इन दिनों आप छत्तीसगढ़ की मानसून यात्रा कहीं से भी प्रारंभ कीजिए आपको प्रकृति के अद्भुत नजारे देखने मिलेंगे। सड़क पकड़ कर जिधर भी निकल जाईए, दो-चार झरने मिल ही जाएंगे। अभयारण्य वर्षाकाल में तीन महीने के लिए बंद कर दिए जाते हैं, पर वन्य ग्रामों का भ्रमण किया जा सकता है।

भोरमदेव के फ़णीनागवंशी राजाओं द्वारा निर्मित तालाब में नौकायन

फ़िर इंतजार किस बात का? अपना बैकपैक बांधिए और निकल पड़िए छत्तीसगढ़ के मानसून भ्रमण के लिए। मानसून भ्रमण के लिए अभी यह उपयुक्त मौसम है। हो सकता है पावस गीत सुनाने के लिए आपका कोई इंतजार रहा हो।

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कैसे पहुंचे?
भारत के सभी प्रमुख शहरों से रायपुर के सीधी विमान सेवा है।
भारत के सभी शहरों से रायपुर के लिए रेल सेवा उपलब्ध है।
रायपुर से सभी स्थानों के लिए सार्वजनिक बस सेवा एवं निजी टैक्सी उपलब्ध है
ठहरने के लिए सभी स्थानों पर होटल, रेस्ट हाऊस उपलब्ध हैं।
होमस्टे का भी प्रयोग कर सकते हैं।

 

आलेख
ललित शर्मा

2 thoughts on “छत्तीसगढ़ के मानसून के सम्मोहन से बच न सके कालीदास और रच डाला मेघदूत

  • July 25, 2018 at 22:39
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    वाह बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ✍️✍️✍️✍️एक एक दृश्य सजीव हो उठता है???

  • July 26, 2018 at 06:14
    Permalink

    वाह

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