कमल सिंह : जिंदगी की किताब का पूरा मजा लेना है तो घूमिए

घुमक्कड़ जंक्शन में आज हमारे साथ है नारायण नारायण जपने वाले नारद, यानी कमल कुमार सिंह। यह जितने जिंदादिल इंसान है, उतने ही अच्छे एवं संजीदा घुमक्कड़ भी है। इनके साथ कुछ समय बिताने का अवसर मुझे मिला और काफ़ी कुछ इनके विषय में जाना। ना काहू से दोस्ती, न काहू से बैर वाली उक्ति इस घुमक्कड़ पर सटीक बैठती है, अब जानते हैं, इनकी कहानी, इनकी जुबानी, जो ललित शर्मा के साथ घुमक्कड़ी के विषय में साझा की …

1 – आपका अध्ययन कहाँ हुआ और बचपन कहाँ बीता?@ मेरी प्राथमिक शिक्षा दीक्षा भदोही में हुई,10 वीं विद्या मंदिर और 12 वी करने के बाद सांइस स्नातक हुआ। उस समय पढ़ाई से ज्यादा एक्स्ट्रा एक्टिविटीज का मास्टर था। NCC, NSS, आदि में तमाम पुरस्कार पाए, पेंटिंग की कई प्रदर्शनियां लगाई। कालांतर में रुझान के हिसाब से में बीएचयू से पर्यटन प्रबंधन में स्नातकोत्तर किया।

2- वर्तमान में आप क्या करते हैं एवं परिवार में कौन-कौन हैं ?

@ वर्तमान में लंदन के एक एमएनसी में कंसल्टेंट हूँ, सहायक प्रबन्धक के रूप मे। वैसे तो मेरा परिवार बहुत वृहद है और संयुक्त है लेकिन दिल्ली मेंअपनी माता जी के साथ निवास करता हूँ।

3 – NCC और NSS में घूमने के खूब मौके मिले होंगे, वहीं से शायद घुमक्कड़ी शुरु हुई होगी?

@ हाँ! सही समझे आप, कालेज के जमाने मे NCC, NSS, रोवर्स रेंजर का टीम लीडर होने के वजह से देश भर में घूमने का मौका मिला। 16 साल की उम्र पहली ट्रेकिंग की जो 300 किलोमीटर की थी। हल्द्वानी के अमृतपुर गाँव से चौबटिया तक। उसके बाद तमाम जगह सरकारी पैसे पर टीम लेके जाने लगा और मेरी यायावरी शुरू हो गयी।

4 – किस तरह की घुमक्कड़ी आप पसंद करते हैं, ट्रेकिंग एवं कठिनाइयाँ भी बताएँ ?

@ मैं इसे यायावरी कहता हूँ, जो मैं करता हूँ। जिसका कोई निश्चित खाँचा नही है। अतः मैं हर तरह की यायावरी पसंद है और करता हूँ, चाहे हो पहाड़ो पे ट्रेकिंग या वाइल्ड लाइफ या ऐतीहसिक जगह या फ़ूड टूर, यायावरी आपमें कठिनाईयों के विरुद्ध इम्युनिटी लाती है, हाँ! थोड़ी काम की जिम्मेदारियाँ होती है, लेकिन फिर भी मैं समय निकाल ही लेता हूँ।

5 – उस यात्रा के बारे में बताएं जहाँ आप पहली बार घूमने गए और क्या अनुभव रहा?

@ हा हा, ये बड़ा मजेदार है। 12वी के बाद घर से आज्ञा ले के इडियन नेवी की प्रवेश परीक्षा देने देहरादून गया, वही बादलो के नीचे एक पहाड़ को लटकता देखा, फिर क्या था, मेरे साथ के लोग परीक्षा दे रहे थे और मैं इस लटकते पहाड़ को छूने चल दिया। साथ के लोग नेवी में अधिकारी बने और मैं बन गया यायावर।

6 – घुमक्कड़ी के दौरान आप परिवार एवं अपने शौक के बीच किस तरह सामंजस्य बिठाते हैं?

@ मैं सब ओर बराबर ध्यान देता हूं, कार्यालय हो घर यायावरी, जब भी कोई वीकेंड आता है मैं निकल पड़ता हूँ, इसमे मेरे माता जी और कार्यालय का भी पूरा सहयोग होता है।

7 – आपकी अन्य रुचियों के विषय में बताइए?

@ पेंटिंग और किताबो का जबरजस्त शौक है,मेरे व्यक्तिगत पुस्तकालय में हर तरह की हजारों किताबे मिल जाएंगी। हाँ लिखने का भी शौक है। तमाम वेब, मैगजीन और न्यूज पेपर के लिखा है।

8 – क्या घुमक्कड़ी आवश्यक है मानव जीवन के लिए?

@ एक कहावत ही कि पूरी जिंदगी एक किताब है, यदि आप घूमते नही है तो जिंदगी का बस एक पन्ना ही पढ़ पाते है। यदि आपको जिंदगी की किताब का पूरा मजा लेना है तो घूमिये, समझिए, देश को समझने का इससे बेहतर तरीका कुछ नही हो सकता। यायावरी से आप समझ पाते है कि उस जगह के बारे में या वहां के लोगो के बारे में आप कितना गलत थे जब तक आप वहाँ नही गए होते।

9 – आपकी सबसे रोमांचक यात्रा कौन सी थी, अभी तक कहाँ कहाँ की यात्राएँ की और उन यात्राओं से क्या सीखने मिला?

@ अभी तक लगभग देश के कुछ हिस्सों को छोड़ लगभग 22 प्रदेश कवर कर चुका हूं, कई बार तो उसी जगह दुबारा भी चला जाता हूँ। यात्राओं से हमे देश को समझने, वहां के लोगो को समझने का मौका मिलता है और अंत मे पता चलता है कि सब आपके ही जैसे है, उनमे और हममे कोई अंतर नही सिवाय भाषा के। सबसे रोमांचक यात्रा स्वर्ग रोहिणी की थी जो कोर हिमालय का एक हिस्सा है, इसी रास्ते से महाभारत युध्द के बाद पाण्डव स्वर्ग की ओर निकले थे जहां बस युधिष्ठिर ही एक कुत्ते के साथ पहुँच पाते हैं।

10 – घुमक्कड़ों को आप क्या कहना चाहते हैं?

@ यदि आप घूमते है तो आप एक बेहतर इंसांन बन पाते हैं। एक नया दृष्टिकोण मिलता है। आप अधिक मजबूत बनते है। यदि आप अपनी जिंदगी को सिर्फ दाल चावल खा के, सो के शौचालय तक सीमित रखते है तो निश्चित ही आप जिंदगी के एक हसीन हिस्से को खाक में मिला रहे हैं। इसलिए आलस छोड़िये और खूब घूमिये।

18 thoughts on “कमल सिंह : जिंदगी की किताब का पूरा मजा लेना है तो घूमिए

  • August 6, 2017 at 20:01
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    कमल भाई बहुत ही कमाल के इंसान है इनके साथ एक ट्रेकिंग भी कर चुका हूँ चूड़धार महादेव की यात्रा में हम सभी का बहुत ही बढ़िया साथ रहा

  • August 6, 2017 at 20:39
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    कमल भाई बेहतरीन घुमक्कड़ भूत है

    पर ये मेरी कार में बैठना नही चाहते

    कारण स्वयं इनसे पूछें :p

  • August 6, 2017 at 20:40
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    कमल भाई बेहतरीन घुमक्कड़ भूत है

    पर ये मेरी कार में बैठना नही चाहते

    कारण स्वयं इनसे पूछें :p

    भाई मुझे स्विट्ज़रलेंड भी भेज रहा था :/

  • August 6, 2017 at 21:49
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    कमल भाई की जिंदादिली के पहले से कायल रहे हैं ।आपका जीवन परिचय जानकर अच्छा लगा । जल्दी से बियाह कीजिये ताकि माताजी भी सुकून से रहे ।

  • August 6, 2017 at 22:45
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    Proud feel krta hu aap jaise shakhsh se juda…. Jai ho narad janak ki?

  • August 7, 2017 at 00:53
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    बहुत खूब लिखते हैं आप। बादलों के नीचे लटकते उस पहाड़ का शुक्रिया जिसने आप को यायावर बना जीवन जीवंत कर दिया।

  • August 7, 2017 at 01:10
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    कमल भाई नारायण नारायण,,, आपके साथ एक यात्रा करने का अनुभव हमें भी है। आप एक अच्छे इंसान ही नही एक बेहतरीन घुमक्कड़ भी है।

  • August 7, 2017 at 03:27
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    कमल कुमार एक बेहतरीन व्यक्तित्व और उससे भी अच्छे मित्र हैं, उनके जीवन के अनछुए पहलुओं को जानकर अच्छा लगा धन्यवाद ललित जी इस महत्वपूर्ण जानकारी के वाहक बनने के लिये

  • August 7, 2017 at 10:40
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    कमल भाई तो कमाल हैं इतनी तारीफ करी जाए उतनी कम है..

  • August 7, 2017 at 22:36
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    जय हो बाबा “कमल ” नारायण की ! बहुत कुछ जानने को मिला कमल भाई के बारे में !! आभार और साधुवाद ललित जी इस श्रंखला को बनाये रखने के लिए

  • August 9, 2017 at 01:03
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    मुझे तो नारद उर्फ कमल के साथ दिल्ली से ओरछा तक का तीन दिन का साथ मिला और यद्यपि अकेले में बहुत लम्बी बात नहीं हो पायी पर ये तो समझ आ गया था कि बन्दे में कुछ खास बात है जरूर ! ’दया, कहीं कुछ गड़बड़ है ! 😉

    ललित जी ने ये बहुत ही बड़ा उपकार कर डाला है इस श्रंखला को शुरु करके। व्यक्तिगत मेल-मुलाकात में भी जो बातें पता नहीं कर पाये थे, वे इस माध्यम से जानने को मिल रही हैं।

  • August 9, 2017 at 10:15
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    नारायण नारायण, आज हमने आपके बारे में बहुत कुछ जाना। पहला धन्यवाद ललित शर्मा जी का जो ये कार्य कर रहे है, और आपके लिए तो कोई शब्द ही नहीं पर आपने कहा कि “एक कहावत ही कि पूरी जिंदगी एक किताब है, यदि आप घूमते नही है तो जिंदगी का बस एक पन्ना ही पढ़ पाते है। यदि आपको जिंदगी की किताब का पूरा मजा लेना है तो घूमिये, समझिए, देश को समझने का इससे बेहतर तरीका कुछ नही हो सकता।” तो इस बात से हम भी सहमत हैं।

  • August 10, 2017 at 04:05
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    लटकते पहाड़ ने आपको यायावरी में अटकाया, और यायावरी ने आपको जीने का राज सिखाया। बहुत खूब.

  • August 12, 2017 at 12:50
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    पहली बार कमल से रु ब रु हुई।जानती तो पहले से थी ,मस्तमौला कमल जितने दिखने में सुंदर है उतना ही सुंदर दिल भी रखते है।यादगार रहा यहां तक का सफर।

  • August 21, 2017 at 02:13
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    कमल भाई आपके बारे में पढ़ कर बहूत अच्छा लगा। वास्तव मे आप एक जिंदादिल इंसान हैं, देखते हैं कब आपसे मुलाकात का अवसर मिलता है?

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