डॉ. कुलभूषण त्यागी : भारतीयता का मतलब जानने के लिए घुमक्कड़ी कीजिए।

घुमक्कड़ जंक्शन में आज आपको मिलवाते हैं घुमक्कड़ डॉक्टर कुलभूषण त्यागी से, जिनके डॉक्टर बनने में घुमक्कड़ी का बड़ा योगदान रहा एवं अध्ययनकाल में पढाई के लिए ऊर्जा घुमक्कड़ी से ही पाई एवं लेह लद्धाख एवं खारदुंग ला तक की यात्रा सोलो बाईकर बनकर की। जानिए ललित शर्मा के साथ घुमक्कड़ी के विषय में इनके विचार…

1- आपका बचपन कहाँ बीता एवं पढाई लिखाई कहाँ हुई?
@ मेरी प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर शाहपुर मुज़फ्फरनगर से हुई है वंहा पिताजी का पेट्रोलियम का कारोबार था अतः बचपन बहुत शानदार था स्कूल जाने से पहले और बाद में हम लोग नियमित रूप से किर्केट खेलते थे। कक्षा 9 मैंने मेरठ से पास की यंहा पर मेरे चाचा जी एम बी बी एस की पढाई कर रहे थे खैर मेरा यँहा मन नही लगा अतः कक्षा 10 मैंने गाँव से पास की है। कक्षा 11 और 12 मैंने खतौली से पास की है।

2- वर्तमान में आप क्या करते हैं एवं परिवार में कौन कौन हैं?
@ वर्तमान में मै मेरठ से एम बी बी एस करने के बाद इन्टर्नशिप कर रहा हूँ, परिवार मे माताजी, दो छोटे भाई और एक बहन है।
3- घुमक्कड़ी में आपकी रुचि कब से हुई?@ जब मैं काफी छोटा था तो पिता जी को पैरालिसिस हुआ, जो 5 साल तक रहा। इस दौरान सब जमा पूंजी समाप्त हो गयी अतः पिता जी ने गांव आकर क्रेशर चला लिया। जिससे वो गुड बनाकर ट्रक में भरकर गुजरात महाराष्ट्र राजस्थान ले जाते थे तो अक्सर मै भी उनके साथ चला जाता था। इस प्रकार घुम्मकड़ी की शुरुआत हुई।

4-आपको कैसी घुमक्कड़ी पसंद है? ट्रेकिंग भी करते हैं या सिर्फ़ मैदानी घुमक्कड़ हैं?

@ मैदानी घुमक्कड़ी के साथ ट्रेकिंग भी करता हूँ परन्तु मुझे बाइक से घूमना पसंद है ओर मै अकेला ही घूमता हूँ। ट्रेकिंग मुझे पसंद है, श्री केदारनाथ और चुड़ाधार महादेव जैसे कठिन ट्रेक कर चुका हूँ।

5- आप बता रहे थे कि घूमने एवं क्रिकेट खेलने की रुचि आपको विरासत में मिली?

@ हाँ! घूमने एवं क्रिकेट खेलने की रुचि पिता जी से ही विरासत में मिली उनको भी घूमने का बड़ा शौक था। उनके पास यजदी, बुलेट और चेतक स्कूटर था। जिस पर घूमने जाया करते। मैं क्रिकेट भी खेलता हूँ एवं महाविद्यालय में मुझे पांच बार अवार्ड भी मिले हैं।

6- आपका बचपन एवं पढाई लिखाई बड़ी कठिनाईयों में हुई, डॉक्टरी के पेशे में होने के बाद घुमक्कड़ी के लिए समय कैसे निकाल पाते हैं?

@ बचपन में पिता जी के साथ घूमने के बाद सन 2012 मे मेरा एम बी बी एस मे सलेक्शन हो गया। मैंने सीपीएमटी क्लियर किया था और मेरी रैंक 242 थी इसके बावजूद भी मैंने मेरठ मेडिकल कॉलेज चुना ताकि पिताजी का समुचित इलाज हो सके। क्योंकि मेरा घर मुज़फ्फरनगर मे है और वो यंहा से पास पड़ता 2009 मे पिता जी को पांचवी बार पैरालिसिस का अटैक आया था। कॉलेज में एडमिशन के तीन महीने बाद पिता जी को हार्ट अटैक आया और उनका देहांत हो गया। इस घटना से मै बुरी तरह बिखर गया और दो महीने कॉलेज नही गया। इस वजह से कॉलेज से घर लेटर गया तो मम्मी जी को पता लगा कि मै कॉलेज नही जा रहा हूँ तो उन्होंने समझया और मेरी एक पारिवारिक मित्र डॉ मधु ने मुझे कोटद्वार सिद्धबली की शरण में जाने को कहा।
घर से वापस आने के बाद में कोटद्वार के लिये निकल गया ओर 2 दिन मंदिर मे रहा फिर पता नही क्या मन में आया ओर मै पौड़ी के लिये निकल गया। पहाड़ी रास्ते मे मेरी तबियत ख़राब हो गयी। रास्ते में कही एक प्रेग्नेंट औरत दर्द से कराहती हुए कार में सवार हुई ओर 2 घण्टे तक दर्द से तड़पती रही। जब तक हम लोग पौड़ी नही पहुच गए ये सब देखकर मन बड़ा दुखी हुआ और मैंने मन में उसे सही करने का संकल्प लिया और मेरठ आया और पढ़ाई शुरू कर दी। इसके साथ ही हर महीने कॉलेज से दवा लेकर उत्तराखंड मे निकल जाता और प्रधान या मुखिया को दे आता। इस तरह घुमक्कड़ी दोबारा शुरू हुई।

7- घूमने के अतिरिक्त आपको और क्या पसंद है, क्या आप ब्लॉग भी लिखते हैं?

@ घूमने के अलावा मुझे पढ़ना और खाना बनाना पसंद है। अभी तक मेरा कोई ब्लॉग नही है, परन्तु समय मिलने पर ब्लॉग लिखना चाहूँगा।

8- आप तो चिकित्सा जैसे पेशे से जुड़े हुए हैं, घुमक्कड़ी से क्या फ़ायदा है?

@ घूमना स्ट्रेस को कम करता है, जैसे पुरानी हिंदी फिल्मों मे डॉक्टर मरीज को सलाह देता था कि आपको आबोहवा बदलने की जरूरत है। आबोहवा बदलने से मन एवं तन दोनो स्वस्थ हो जाते हैं तथा घूमकर आप स्वयं की शारीरिक एवं मानसिक क्षमताओं को जान सकते है।

9- अभी तक की आपकी सबसे रोमांचक यात्राकौन सी है और कहाँ कहाँ घुमक्कड़ी की है? घुमक्कड़ी से कोई फ़ायदा है कि नहीं?

@ मेरी सबसे रोमांचक यात्रा लद्दाख और यमुनोत्री धाम की रही। इसके अलावा मुझे चोपता बड़ा पसंद है, बहुत बार जा चुका हूँ तथा मेरी घुमक्कड़ी कोटद्वार पौड़ी से शुरू हुई। अब तक अधिकतर उत्तराखंड, हिमाचल और कश्मीर घूम लिया हूँ तथा मैने लगभग यात्राएँ अकेले स्कूटी से की है।
घुमक्कड़ी के फ़ायदे ही फ़ायदे हैं, अगर आपके पास समय है तो, पेशे से डॉक्टर होने के कारण समय कम मिलता है परन्तु जब भी समय मिलता है जी भर के घुमक्कड़ी करता हूँ। इससे मुझे शांति मिलती है, व्यवहारिक ज्ञान मिलता है जिससे समझ बढ़ती है, बर्दास्त करने की क्षमता बढ़ जाती है। अहंकार, घमंड नही होता, जबान सरस हो जाती हैं और सबसे बड़ा फायदा मेरा टाइम मैनेजमेंट अच्छा हो गया। मै कॉलेज के दिनों में दिन मे कॉलेज में अध्ययन करता था और रात मे दिल्ली जाकर काल सेंटार मे जॉब से पैसे कमाता था ताकि अपने खर्चे पूरे कर सकूँ।

10- कुछ संदेश देना चाहेंगे पाठकों के लिए?

@ पाठकों के लिए यही संदेश है कि अकेले घूमने मे भी कोई दिक्कत नही है, बस तैयारी पूरी होनी चाहिए। आईए और निकलिए अपने देश को जानने। घूम कर ही आप भारतीय होने का मतलब समझ सकते हैं।

18 thoughts on “डॉ. कुलभूषण त्यागी : भारतीयता का मतलब जानने के लिए घुमक्कड़ी कीजिए।

  • August 2, 2017 at 21:43
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    जिसका मन मानवता और परोपकार से लबालब हो सच्चे अर्थों में वही इंसान है, बहुत कठिन रही आपकी अब तक की जीवन यात्रा, लेकिन एक सही दिशा दी आपने अपनी लगन और मेहनत को। आपकी आगे की हर यात्रा शुभ और मंगलकारक हो… शुभकामनाएं

  • August 2, 2017 at 23:05
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    बधाई हो डॉक साब ????

  • August 2, 2017 at 23:45
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    डाक्टर साहेब ,आपके बारे में काफी कुछ जानने को मिला . आपकी लगन और मेहनत से आज आप इस मुकाम पर हैं ….ढेर सारी शुभकामनाएं

  • August 3, 2017 at 00:34
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    Yu hi ghumte firte rahiye d.r saheb…humari or se shubhkamnayen…evam lalit g ka aabhar..???

  • August 3, 2017 at 00:38
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    बहुत बढ़िया अजय भाई ?? घुमक्कड़ी जिंदाबाद ??

  • August 3, 2017 at 02:54
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    बहुत बढ़िया डाक्टर सहाब …… आपके बारे में काफी कुछ जानने को मिला

  • August 3, 2017 at 03:09
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    डॉ साहब आपकी घुमक्कड़ी और सोच को सलाम । ईश्वर ये ज़ज़्बा बनाये रखे ।

  • August 3, 2017 at 04:43
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    keep it up bohat badiya

  • August 3, 2017 at 04:50
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    डा. कुलभूषण त्यागी और डा. अजय त्यागी एक ही व्यक्ति के दो नाम हैं क्या? अभी तक मैं आपको अजय के नाते पहचानता था, आज आपका एक नया नाम सामने आया। खैर!

    आपकी जीवन यात्रा के बारे में पढ़ कर कुछ नई बातें पता चलीं जिनको जानकर बहुत अच्छा लगा। भगवान जी ने अगर धैर्य की कुछ परीक्षाएं लीं तो अब झोली खुशियों से भर रहे हैं ! सौदा बुरा नहीं है। आपकी घुमक्कड़ी के उज्ज्वल भविष्य हेतु शुभ कामनाएं !

    सस्नेह,
    सुशान्त सिंहल

  • August 3, 2017 at 05:07
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    वाह कुलभूषण भाई, बिल्कुल नाम को चरितार्थ कर रहें हैं आप. आपके बारे में जानता सब पहले से था लेकिन यहाँ एक बार फिर देख कर बड़ी ख़ुशी हुई. सचमुच आपके जीवन की कहानी फ़िल्मी हीरो की स्टोरी से कम नहीं लगी. अगर इसे पढ़ कर कोई एक भी बन्दा यदि जीवन में प्रेरणा ले लेता है तो आपकी जीवनी और ललित जी का ये स्तम्भ सार्थक हो जायेंगे…

  • August 3, 2017 at 05:57
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    मंजिल मिलती है …
    का जीता जगाता प्रमाण ।

  • August 3, 2017 at 08:16
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    अजय भाई डाँक्टर के साथ साथ घुमक्कड़ तो है ही.. और इन सब के साथ एक बहुत अच्छे इंसान है.. मुझे इन्हे जानते हुऐ अभी 1 महीना करीब हुआ है.. लेकिन ऐसा लगता है कितने वर्षों से जानता हूँ..

  • August 3, 2017 at 08:24
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    Namskaar Dr. Sahib

    Immense pleasure to see you in the article.. your hardwork is actually hard worship…May God bless you all the health, wealth, strength and happiness because you give it to others..”Gulaab baatiye janab..Khushboo aaphi k paas rahegi.”
    Sair kar duniya ki gaafil, Zindgaani fir kahan..
    Zindgaani bhi rahi to Naujawani fir kahan..
    ye bhi Deshbhakti ka ek roop hai..ghoom kar desh ko jaan na..
    Salaam aapke jazbe ko.
    Regards..

  • August 4, 2017 at 02:26
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    ललित शर्मा जी का आभार कि हर दिन वो एक नए घुमक्कड़ के बारे में इतनी जानकारिया दे रहे हैं।

    डॉक्टर साहब आपके बारे में तो बहुत कुछ पहले से ही जानते थे और आज और भी कुछ जानने को मिला। आज तक मुझे अजय त्यागी के बारे ही पता था पर कुलभूषण त्यागी के बारे में भी जान गए
    हार्दिक शुभकामनाएं

  • August 4, 2017 at 14:35
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    Waah Dr sahab aap jaise log hi Dr ke peshe ko bhagwaan ka darja dilate hain
    Aur ‘Ghoomkar hi aap bhartiya hone ka matlab Samajh sakte hain ‘ yah sunkar maja hi aa gaya

    Thanks Mr lalit ji

  • August 5, 2017 at 00:12
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    बधाई हो डा. साहब

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