सार्वजनिक वितरण प्रणाली में नगद सब्सिडी की योजना से छत्तीसगढ़ सहमत नहीं: डॉ. रमन सिंह

रायपुर, 10 फरवरी 2013/ मुख्यमंत्री  डॉ. रमन सिंह ने आज संसद की कृषि स्थायी समिति के सदस्यों से चर्चा के दौरान कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली में उपभोक्ताओं के लिए अनाज के बदले नगद सब्सिडी उनके बैंक खातों में हस्तांतरित करने की केन्द्र की योजना से सहमत नहीं है, क्योंकि यह राज्य और देश के लाखों-करोड़ों उपभोक्ताओं के लिए हर दृष्टि से अव्यवहारिक और असुविधाजनक होगी। छत्तीसगढ़ सरकार वर्ष 2004 से लगातार सार्वजनिक वितरण प्रणाली संचालन पूरी सफलता के साथ कर रही है।

कृषि संसदीय समिति के सदस्यों ने छत्तीसगढ़ सरकार के खाद्य सुरक्षा कानून सहित इस नये राज्य की सार्वजनिक वितरण प्रणाली, हाल ही में ए.टी.एम. की तर्ज पर शुरू की गई कोर पी.डी.एस. परियोजना और किसानों के लिए अलग कृषि बजट प्रावधान की विशेष रूप से प्रशंसा की। समिति के सदस्यों ने आज रात यहां मुख्यमंत्री  डॉ. रमन सिंह से उनके निवास पर सौजन्य मुलाकात की। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री श्री चन्द्रशेखर साहू सहित संसदीय समिति के सदस्य सर्वश्री शिवानंद तिवारी, राजैय्या सिरीसिला, सरदार सुखदेव सिंह लिबरा, नारायण सिंह अमलावे, एस. थंगावेलू, ए. इलावर्शन, संजय सिंह चैहान और पी. प्रधान सहित छत्तीसगढ़ शासन के मुख्य सचिव श्री सुनिल कुमार और राज्य सरकार के अन्य संबंधित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
डॉ. रमन सिंह ने संसदीय समिति को राज्य शासन द्वारा किसानों के लिए संचालित विभिन्न योजनाओं सहित प्रदेश की सामाजिक-आर्थिक विकास गतिविधियों के बारे में बताया। उन्होंने समिति के सदस्यों को छत्तीसगढ़ सरकार के प्रस्ताव के अनुरूप केन्द्र द्वारा हाल ही में स्वीकृत दो नये रेल कारीडोर प्रकल्पों की भी जानकारी दी। नया रायपुर विकास परियोजना का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने संसदीय समिति को बताया कि आजादी के बाद निर्मित चंडीगढ़, भुवनेश्वर और गांधी नगर जैसे सुनियोजित शहरों की कड़ी में नया रायपुर देश का चैथा और 21वीं सदी का पहला राजधानी शहर होगा। मुख्यमंत्री ने समिति के सदस्यों को नया रायपुर के भ्रमण के लिए भी आमंत्रित किया। अनौपचारिक बातचीत में  डॉ. रमन सिंह ने संसदीय समिति के सदस्यों से कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली में उपभोक्ताओं के लिए अनाज के बदले नगद सब्सिडी उनके बैंक खातों में हस्तांतरित करने की केन्द्र की योजना से कतई सहमत नहीं है, क्योंकि यह हर दृष्टि से अव्यवहारिक और असुविधाजनक होगी। छत्तीसगढ़ सरकार वर्ष 2004 से लगातार सार्वजनिक वितरण प्रणाली संचालन पूरी सफलता के साथ कर रही है। इस प्रणाली में कृषि उत्पादन, उसके उपार्जन और मिलिंग के साथ राशन दुकानों के जरिये उपभोक्ताओं तक पहंुचाने की एक सम्पूर्ण योजनाबद्ध श्रृंखला है, जो सुचारू रूप से चल रही है। संसदीय समिति के सदस्यों के साथ सौजन्य मुलाकात और अनौपचारिक बैठक में डाॅ. रमन सिंह ने उन्हें राज्य सरकार के खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2012 की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार का खाद्य सुरक्षा विधेयक संसद के आगामी सत्र में आना संभावित है। इसलिए संसदीय समिति को हम छत्तीसगढ़ के खाद्य सुरक्षा कानून की विशेषताआंे के बारे में बताना चाहते हैं। मुख्यमंत्री ने सदस्यों से कहा कि छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जिसने लगभग डेढ़ महीने पहले विगत 21 दिसम्बर को विधानसभा में सर्वसम्मति से विधेयक पारित कर प्रदेश के 50 लाख से अधिक परिवारों के लिए अपना खाद्य सुरक्षा कानून बनाया है और इन परिवारों को किफायती अनाज प्राप्त करने का कानूनी अधिकार दिया है। आयकर दाता परिवारों को छोड़कर राज्य के 90 प्रतिशत परिवारों को इस कानून का लाभ मिलेगा। इसके अंतर्गत अन्त्योदय और गरीबी रेखा श्रेणी के 42 लाख 18 हजार परिवारों को हर महीने मात्र एक रूपए और दो रूपए किलो में 35 किलो के हिसाब से अनाज, निःशुल्क दो किलो नमक, आदिवासी क्षेत्रों में पांच रूपए किलो में दो किलो चना और गैर आदिवासी क्षेत्रों में दस रूपए किलो में दो किलो दाल देने की व्यवस्था की गई है। इनके अलावा आठ लाख 44 हजार ए.पी.एल. परिवारों को मात्र साढ़े नौ रूपए किलो में हर महीने 15 किलो अनाज दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने संसदीय समिति को बताया कि छत्तीसगढ़ के खाद्य सुरक्षा कानून में खेतिहर मजदूरों सहित असंगठित क्षेत्र के सभी निर्माण श्रमिकों को भी गरीबी रेखा श्रेणी का मानकर सस्ते अनाज की इस कानूनी सुविधा का लाभ देने का निर्णय लिया गया है।
डॉ. सिंह ने समिति को बताया कि राज्य में इन सबको मिलाकर गरीबी रेखा और अन्त्योदय श्रेणी के 75 प्रतिशत तथा सामान्य अथवा ए.पी.एल. श्रेणी के 15 प्रतिशत परिवारों को खाद्य सुरक्षा कानून के दायरे में लाकर सस्ते अनाज का अधिकार दिया गया है। मुख्यमंत्री ने सदस्यों को छत्तीसगढ़ की सार्वजनिक वितरण प्रणाली की प्रमुख विशेषताओं के बारे में बताया। हमारे यहां इस प्रणाली में कृषि उत्पादन यानि मुख्य फसल धान की पैदावार के बाद किसानों से समर्थन मूल्य पर उसके उपार्जन की पुख्ता व्यवस्था है। उपार्जन के बाद कस्टम मिलिंग होती है और उसके बाद हम अपने नागरिक आपूर्ति निगम के माध्यम से द्वारा प्रदाय योजना के तहत अनाज सीधे राशन दुकानों तक पहुंचा देते हैं। हमने वर्ष 2004 में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में निजी दुकानों की व्यवस्था को खत्म कर सभी उचित मूल्य की दुकानें सहकारी समितियों, ग्राम पंचायतों, महिला स्व-सहायता समूहों और अन्य सार्वजनिक संस्थाओं को सौंप दी है। इससे प्रणाली में काफी पारदर्शिता आयी है।
डॉ. सिंह ने सदस्यों को बताया कि चालू खरीफ विपणन वर्ष 2012-13 में हमने सहकारी समितियों के माध्यम से प्रदेश के दस लाख किसानों से अब तक लगभग 66 लाख 68 हजार मीटरिक टन धान खरीद कर उन्हें आठ हजार 407 करोड़ रूपए का भुगतान किया है। किसानों से धान खरीदी का हमारा आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। हम अपने किसानों को सहकारी समितियों के जरिये मात्र एक प्रतिशत ब्याज पर खेती के लिए ऋण सुविधा दे रहे हैं। उन्हें पांच हार्स पावर तक सिंचाई पम्पों के लिए सालाना साढ़े सात हजार यूनिट बिजली निःशुल्क दी जा रही है। छत्तीसगढ़ देश का पहला विद्युत कटौती मुक्त राज्य है, जहां किसानों, उद्योगों और घरेलू कनेक्शनों के लिए चैबीसों घण्टे बिजली की सुविधा मिल रही है। अगले छह महीने में राज्य सरकार की विद्युत कम्पनी के पांच-पांच सौ मेगावाट क्षमता के तीन ताप बिजली संयंत्रों में विद्युत उत्पादन शुरू हो जाएगा। मुख्यमंत्री ने संसदीय समिति को बताया कि बारहवीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक छत्तीसगढ़ सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बिजली संयंत्रों को मिलाकर तीस हजार मेगावाट तक बिजली उत्पादन क्षमता हासिल कर लेगा। इस मौके पर छत्तीसगढ़ सरकार के प्रमुख सचिव और कृषि उत्पादन आयुक्त श्री एम.के. राउत, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के सचिव श्री विकासशील, ऊर्जा सचिव श्री अमन कुमार सिंह, कृषि सचिव श्री मनोहर पाण्डेय, उद्यानिकी संचालक श्री डी.डी. सिंह, कृषि संचालक श्री पी.आर कृदत्त और पशुपालन तथा मछलीपालन विभाग और अन्य संबंधित उपक्रमों के अधिकारी भी उपस्थित थे। खाद्य सचिव श्री विकासशील ने समिति के समक्ष सार्वजनिक वितरण प्रणाली का प्रस्तुतिकरण दिया।