सांस और जिंदगी

सांस…
ये सांसो की नाज़ुक सी कड़ी
ये सांसो की लम्बी सी लड़ी
सहेजी जाए पिरोई नही जाए
जाने कब टूटे बिखर जाए …?
जिंदगी…  
बड़ी अजीब सी हो गयी है जिन्दगी
कभी दर्द कभी मुस्कान है जिन्दगी
कभी पतझड़ कभी बहार है जिन्दगी
कभी झम बरसती फ़ुहार है जिन्दगी

घड़ी के कांटो सी सरकती ये जिन्दगी
कब किस मोड़ पर ठहर जाए जिन्दगी
कोई उम्मीद नही जगाए ये जिन्दगी
जाने किस घड़ी छूट जाए ये जिन्दगी

समय बड़ा बलवान छोटी है जिन्दगी
यूं ही जिन्दगी को खा रही है जिन्दगी

वक्त के हाथों मरहम लगाएगी जिन्दगी?
गोया किश्तो में चली जाएगी जिन्दगी?
संध्या शर्मा
नागपुर (महाराष्ट्र)

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