संवाद सेतु में रचनात्मक लेखन और ब्लॉगिंग पर चर्चा

जनसम्पर्क विभाग के अधिकारियों की दो दिवसीय कार्यशाला ’संवाद सेतु’ 31 अगस्त एवं 1 सितम्बर को सम्पन्न हुई, इसके दूसरे दिन रचनात्मक लेखन और आपदा प्रबंधन को लेकर वरिष्ठ पत्रकारों ने कई महत्वपूर्ण टिप्स दिए। सोशल मीडिया और ब्लॉगिंग जैसे विषयों पर भी विस्तार से दिलचस्प बातचीत हुई। अधिकारियों ने सोशल मीडिया विशेषज्ञों से टिवटर एकाउंट और ब्लॉग बनाने का व्यावहारिक प्रशिक्षण भी लिया। इन विषयों पर दिलचस्प बातचीत हुई।

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संवाद सेतु कार्यशाला को संबोधित करते हुए दैनिक छत्तीसगढ़ के प्रधान सम्पादक सुनील कुमार

राजधानी रायपुर के निकटवर्ती ग्राम निमोरा स्थित छत्तीसगढ़ प्रशासन अकादमी में इस कार्यशाला के दूसरे दिन के सत्र में वरिष्ठ पत्रकार सर्वश्री रमेश नैयर, गोविंदलाल वोरा, श्याम तोमर और सुनील कुमार ने पत्रकारिता के अपने सुदीर्घ अनुभवों को साझा करते हुए अधिकारियों को रचनात्मक लेखन कौशल विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया। श्री रमेश नैयर ने कहा कि आपदा प्रबंधन के समय आम जनता में विश्वास बनाए रखने में मीडिया के साथ-साथ जनसम्पर्क अधिकारियों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। श्री नैयर ने इस सिलसिले में 80 के दशक में आतंकवाद की समस्या से जूझते पंजाब के उथल-पुथल भरे वातावरण का और उस दौर में एक पत्रकार के रूप में वहां के अपने अनुभवों को जिक्र किया। श्री नैयर ने कहा कि नया छत्तीसगढ़ राज्य आज अपनी आदर्श सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पी.डी.एस.) और नया रायपुर विकास परियोजना को लेकर देश भर में आकर्षण का केन्द्र बन गया है। कई राज्यों के वरिष्ठ नेता, अधिकारी और अन्य प्रबुद्धजन इसके अध्ययन के लिए छत्तीसगढ़ आते हैं। जनसम्पर्क अधिकारी उनके समक्ष छत्तीसगढ़ की इन खूबियों को बेहतर ढंग से प्रस्तुत कर सकते हैं।

श्री गोविंदलाल वोरा ने सरकारी प्रेस विज्ञप्तियों की भाषा के सरलीकरण की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रजातंत्र में सरकारें जनता की भलाई के लिए काम करती हैं। ऐसे कार्यों को रचनात्मक ढंग से समाज के सामने प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

श्री सुनील कुमार ने कहा-रचनात्मक लेखन शून्य में नहीं हो सकता। अच्छा लिखने के लिए अच्छा पढ़ना भी जरूरी है। इसके साथ ही लिखने वाले को एक अच्छा ऑब्जर्वर भी होना चाहिए, जो समाज में होने वाली घटनाओं को देखने के साथ-साथ समझ भी सके। उन्होंने कहा कि हमारा अनुभव संसार जितना व्यापक होगा, लेखन भी उतना ही बेहतर होगा। जनसम्पर्क अधिकारी शासन का पक्ष जनता तक पहुंचाने के लिए एक लक्षित वर्ग को ध्यान में रखकर लिखते हैं। उन्हें अपने इस लेखन में वाक्यों के सरकारीकरण से बचना चाहिए और आम बोलचाल की भाषा में तथा न्यूनतम शब्दों में अधिकतम जानकारी देने का प्रयास करना चाहिए।

उन्होंने कुछ वर्षों पहले तक प्रचलन में रहे टेलीग्राम का उदाहरण दिया और कहा कि टेलीग्राम करने के लिए डाक-तार विभाग प्रत्येक शब्द के पैसे लिया करता था। तब पत्रकारों को टेलीग्राम से समाचार भेजने के लिए शब्दों की मितव्ययिता का ध्यान रखना पड़ता था।

कार्यशाला में नई दिल्ली से आए सोशल मीडिया विशेषज्ञ श्री विकास बागड़ी ने टिवटर एकाउंट बनाने का प्रशिक्षण दिया। श्री शिशिर जोशी ने भी रचनात्मक लेखन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। श्री श्याम तोमर ने मीडिया और जनसम्पर्क अधिकारियों के बीच लगातार बेहतर तालमेल की जरूरत पर बल दिया।

राज्य के सुप्रसिद्ध ब्लॉगर श्री ललित शर्मा ने ब्लॉगिंग के इतिहास और ब्लॉग निर्माण को लेकर अपना प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने कहा कि ब्लॉगिंग एक प्रकार की स्वयं सेवी जनपत्रकारिता है। उन्होंने जनसम्पर्क अधिकारियों को ब्लॉग निर्माण की तकनीक भी बताई। सचिव जनसम्पर्क श्री संतोष मिश्रा ने भी इस अवसर पर जनसम्पर्क अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए। संचालक जनसम्पर्क श्री राजेश सुकुमार टोप्पो ने कहा कि ’सोशल मीडिया’ एक तरह से ’पब्लिक मीडिया’ है। श्री टोप्पो ने सभी आमंत्रित वक्ताओं को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।

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