संयुक्त कलेक्टर रायगढ़ तीर्थराज अग्रवाल और जे. आर. चौरसिया महासमुंद निलंबित

रायपुर, 02 अगस्त 2014/ मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने सरकारी काम काज में प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार की शिकायतों पर सभी संबंधित विभागों को गंभीरता से कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। इसी कड़ी में प्रदेश सरकार ने आज राज्य प्रशासनिक सेवा के वर्ष 2008 बैच के दो अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। इनमें रायगढ़ जिले के संयुक्त कलेक्टर श्री तीर्थराज अग्रवाल और महासमुन्द जिले के संयुक्त कलेक्टर श्री जे. आर. चौरसिया शामिल हैं। दोनों का निलंबन आदेश आज देर शाम यहां सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा मंत्रालय से जारी कर दिया गया है। निलंबन अवधि में श्री अग्रवाल का मुख्यालय आयुक्त बस्तर संभाग जगदलपुर कार्यालय में तथा श्री चौरसिया का मुख्यालय आयुक्त रायपुर संभाग रायपुर के कार्यालय में निर्धारित किया गया है। दोनों अधिकारियों पर मुख्य रूप से भू-अर्जन प्रकरणों में अनियमितता बरतने का आरोप है।
निलंबन आदेश के अनुसार श्री तीर्थराज अग्रवाल पर आरोप है कि उन्होंने रायगढ़ जिले के पुसौर विकासखण्ड स्थित एनटीपीसी के ग्राम लारा में निर्माणाधीन संयंत्र के तहत नौ गांवों – लारा, झिलगीटार, देवलसुर्रा, आड़मुड़ा, बोड़ाझरिया, कांदागढ़, छपोरा, महलोई तथा रियापाली में कुल 780.869 हेक्टेयर (लगभग 781 हेक्टेयर) जमीन के भू-अर्जन के मामले में भू-राजस्व संहिता के प्रावधानों का पालन नहीं किया । इन गांवों में भू-अर्जन प्रक्रिया के पहले तथा भू-अर्जन प्रक्रिया के दौरान व्यापक पैमाने पर जमीन का छोटे-छोटे टुकड़ों में क्रय-विक्रय हुआ। श्री अग्रवाल पर बटवारा तथा नामांतरण के संबंध में कानून का पालन नहीं करने और लापरवाही पूवर्क कृत्य करते हुए प्रभावितों को अवैधानिक लाभ पहंुचाने की मंशा से दुरभिसंधि करते हुए अनियमितता और लापरवाही बरतने का भी आरोप है।
निलंबन आदेश में बताया गया है कि रायगढ़ जिले के ग्राम बघनपुर, घनागार और कोड़ातराई की प्रभावित भूमि की भू-अर्जन के लिए धारा 4 के अंतर्गत दिनांक 06 जुलाई 2012 को तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी द्वारा अधिसूचना जारी कर जमीन की खरीद-बिक्री तथा खाता बटवारे पर  रोक लगाई गई थी, जिसे श्री तीर्थराज अग्रवाल (अनुविभागीय अधिकारी राजस्व) ने 22 अप्रैल 2013 को अपने पत्र के द्वारा तत्काल प्रभाव से हटा लिया गया। इसके फलस्वरूप इन गांवों में भी व्यापक पैमाने पर प्रभावित कृषि भूमि की छोटे-छोटे टुकड़ों में खरीद-बिक्री और अविधिक रूप से खाता बटवारा हुआ। निलंबन आदेश में यह भी कहा गया है कि इस प्रकार खरीद-बिक्री व खाता बटवारे में लगाई रोक को तत्काल हटाना गलत मंशा को दर्शाता है। आदेश में यह भी कहा गया है कि श्री अग्रवाल ने इस प्रकार छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम 3 के प्रावधानों का उल्लंघन किया है।
महासमुन्द के निलंबित संयुक्त कलेक्टर श्री जे. आर. चौरसिया पर निलंबन आदेश में यह आरोप है कि उन्होंने महासमुन्द के अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) के पद पर अपनी पदस्थापना के दौरान ग्रामी मालीडीह में वन अधिकार मान्यता पत्र जारी करने की कार्रवाई में गंभीर अनियमितता और लापरवाही बरती है। इसी प्रकार उन्होंने रायगढ़ जिले के घरघोड़ा में अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) के पद पर अपनी पदस्थापना के दौरा घरघोड़ा तहसील के ग्राम ढोलनारा, बजरमुड़ा, करवाही, खम्हरिया और मिलूपारा की 444 दशमलव 576 हेक्टेयर भूमि पर सरफेस राईट का प्रतिकर निर्धारण किया, जबकि इस जमीन का खनि पट्टा स्वीकृति के बाद नियमानुसार सरफेस राईट का आदेश दिया जाना चाहिए था, लेकिन श्री चौरसिया द्वारा अपने कर्तव्य के प्रति संनिष्ठ ना रहते हुए लापरवाही पूर्वक कृत्य करते हुए तथा पुसौर ब्लाक में स्थित एनटीपीसी के संयंत्र (ग्राम लारा) के भू-अर्जन प्रकरण में प्रभावित व्यक्तियों को अवैधानिक लाभ पहुंचाने की मंशा से अनियमित कार्रवाई की गई है। इस प्रकार श्री चौरसिया ने छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम 3 के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है।
सामान्य प्रशासन विभाग ने इन दोनों अधिकारियों को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1965 के नियम 9 (1) (क) के तहत निलंबित किया है।

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