मंत्रिपरिषद की बैठक में अनेक महत्वपूर्ण फैसले

रायपुर/ मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में आज यहां मंत्रालय (महानदी भवन) में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में विभिन्न महत्वपूर्ण फैसलों के साथ वर्ष 2017-18 के चना उत्पादक किसानों को डेढ़ हजार रूपए प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि देने का भी निर्णय लिया गया। लगभग 120 करोड़ रूपए की प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाएगा। प्रारंभिक आंकलन के अनुसार राज्य के चार लाख से ज्यादा किसानों को रमन सरकार के इस फैसले का फायदा मिलेगा। बैठक के बाद राजस्व और उच्च शिक्षा मंत्री श्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय ने केबिनेट के फैसलों की जानकारी दी।


उन्होंने बताया कि श्रम विभाग के प्रस्ताव पर विचार करने के बाद मंत्रिपरिषद ने कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआई) को रायगढ़ जिले के ग्राम परसदा में औद्योगिक श्रमिकों के लिए 100 बिस्तरों वाले अस्पताल भवन का निर्माण करने लगभग साढ़े चार हेक्टेयर शासकीय भूमि निःशुल्क देने का भी निर्णय लिया। रायगढ़ क्षेत्र में कर्मचारी राज्य बीमा निगम में पंजीकृत करीब 65 हजार कामगारों को इसका लाभ मिलेगा। वर्तमान में उनके प्राथमिक उपचार के लिए विभिन्न औषधालय तो कार्यरत है, लेकिन अंतः रोगी चिकित्सा सुविधा के लिए कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआई) का कोई भी अस्पताल वहां नहीं है। अब ईएसआई द्वारा राज्य शासन से मिलने वाली भूमि पर आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से सुसज्जित अस्पताल और कर्मचारियों के लिए आवासीय परिसर का भी निर्माण किया जाएगा।  निर्माण कार्य और भवनों के रख-रखाव का सम्पूर्ण खर्च ईएसआई द्वारा वहन किया जाएगा।
राजस्व मंत्री श्री पाण्डेय ने बताया कि प्रदेश में रबी वर्ष 2017-18 में धान के बदले दलहन-तिलहन लगाने के लिए प्रचार-प्रसार के जरिए किसानों को प्रोत्साहित किया गया। इसके फलस्वरूप करीब 40 लाख 64 हजार हेक्टेयर में रबी फसलों की खेती की गई। इसमें से लगभग आठ लाख हेक्टेयर में चना बोया गया। मंत्रिपरिषद ने आज की बैठक में निर्णय लिया कि वर्ष 2017-18 के राजस्व अभिलेखों में जिन किसानों का नाम चना उत्पादक के रूप में दर्ज किया गया है, उन्हीं किसानों को 1500 रूपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि की पात्रता होगी। इस प्रोत्साहन राशि की व्यवस्था कृषि विभाग द्वारा की जाएगी और इसका भुगतान संबंधित जिला कलेक्टरों के माध्यम से किसानों के बैंक खातों में किया जाएगा।
मंत्रिपरिषद की आज की बैठक में लिए गए एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले के अनुसार सार्वजनिक वितरण प्रणाली की राशन दुकानों से चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 में वितरण के लिए भारत सरकार की एजेंसी नाफेड की प्रस्तावित दर पर छत्तीसगढ़ राज्य नागरिक आपूर्ति की निविदा के नियमों और शर्तो के अनुसार कुल 61 हजार 272 मीटरिक टन चने की खरीदी की जाएगी। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ खाद्य एवं पोषण सुरक्षा अधिनियम 2012 के तहत राज्य के सभी 85 आदिवासी विकासखण्डों में अन्त्योदय एवं प्राथमिकता वाले राशनकार्ड धारकों को हर महीने मात्र पांच रूपए प्रति किलो की दर से दो किलो ग्राम देशी चना दिया जा रहा है। इस योजना का नाम ’छत्तीसगढ़ स्वादिष्ट चना वितरण योजना’ है। योजना के तहत चने की वार्षिक आवश्यकता 60 हजार मीटरिक टन है। हर महीने पांच हजार मीटरिक टन चना आवंटित किया जाता है। चने की लागत दर और उपभोक्ता से प्राप्त राशि के अंतर की राशि राज्य सरकार द्वारा वहन की जाती है।


राजस्व मंत्री श्री पाण्डेय ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने आवास एवं पर्यावरण विभाग के प्रस्ताव पर छत्तीसगढ़ मंत्रालयीन सेवा के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को आवास निर्माण के लिए सस्ती दरों पर राजधानी रायपुर के नजदीक सेरीखेड़ी में लगभग 7 हेक्टेयर जमीन उपलब्ध कराने का भी निर्णय लिया है। वहां पर कुल 700 भूखण्ड होंगे। इनमें से 464 भूखण्डों में ईडब्ल्यूएस श्रेणी के मकान बनेंगे। भू-खण्डों का आवंटन लॉटरी पद्धति से किया जाएगा।
स्टील उद्योगों को बिजली दरों में राहत
श्री पाण्डेय ने बताया कि राज्य शासन द्वारा औद्योगिक एवं आर्थिक मंदी के कारण स्टील एवं अन्य उद्योगों को प्रतिस्पर्धा में टिके रहने के लिए वित्तीय वर्ष 2017-18 में ऊर्जा प्रभार और विद्युत शुल्क में विशेष राहत पैकेज के रूप में जो रियायत दी गई थी, उसकी अवधि 31 मार्च 2018 को समाप्त हो गई है, जिसे आज मंत्रिपरिषद की बैठक में चालू वित्तीय वर्ष में एक अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2019 तक अर्थात एक वर्ष और जारी रखने का भी निर्णय लिया।  श्री पाण्डेय ने बताया कि राज्य के 400 से ज्यादा स्टील उद्योगों को इसका लाभ मिलेगा। इन उद्योगों को मिलने वाली रियायतों के फलस्वरूप वे बाजार की प्रतिस्पर्धा में टिके रहेंगे और उनके बंद होने की स्थिति नहीं आएगी। इससे श्रमिकों का रोजगार भी बना रहेगा। साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कम्पनी को बिजली की मांग में वृद्धि की स्थिति बनाए रखने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि राज्य विद्युत वितरण कम्पनी और अन्य लायसेंसी से बिजली की सप्लाई प्राप्त कर रहे स्टील उद्योगों को विद्युत नियामक आयोग द्वारा अधिसूचित टैरिफ के अनुसार लागू ऊर्जा प्रभार में 50 पैसे प्रति यूनिट की छूट मिलेगी। रियायती दर पर उन्हें बिजली की सप्लाई करने पर राज्य शासन द्वारा विद्युत वितरण कम्पनी को 238 करोड़ रूपए का अनुदान दिया जाएगा। इसके अलावा जिन स्टील और अन्य उद्योगों को छह प्रतिशत के स्थान पर तीन प्रतिशत के मान से विद्युत शुल्क में रियायत तथा ऊर्जा प्रभार में 50 पैसे प्रति यूनिट की दी गई रियायत के कारण 400 से अधिक उपभोक्ताओं को चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 में 57 करोड़ रूपए की बचत विद्युत शुल्क के मद से होगी। इससे स्टील उत्पादन के लागत में कमी आएगी और छत्तीसगढ़ के इस्पात उद्योग महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, ओड़िशा, तेलांगाना और आंध्रप्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों में स्टील उत्पाद की प्रतिस्पर्धा में बने रहेंगे और इन राज्यों में अपने उत्पादन को बेच सकेंगे।


श्री पाण्डेय ने बताया कि दो मिलियन टन से कम क्षमता वाले 31 स्टील उद्योगों द्वारा संचालित कैप्टिव पावर प्लांट के ऑक्जलरी खपत और कैप्टिव पावर प्लांट से उत्पादित बिजली को स्वयं के स्टील उद्योग में इस्तेमाल करने पर दो प्रकार की रियायतें दी जाएंगी। इसके अनुसार कैप्टिव पावर प्लांट की ऑक्जलरी खपत पर रियायती पैकेज के अंतर्गत 31 पैसे प्रति यूनिट और स्वयं के स्टील उद्योग में इस्तेमाल करने पर 15 पैसे प्रति यूनिट के मान से विद्युत शुल्क का भुगतान देय होगा। इससे इन उद्योगों को चालू वर्ष 2018-19 में लगभग 271 करोड़ रूपए का फायदा होगा। श्री पाण्डेय ने बताया कि आज केबिनेट में लिए गए निर्णय के अनुसार दो मिलियन टन से ज्यादा क्षमता वाले दो स्टील उद्योगों को उनके द्वारा संचालित कैप्टिव पावर प्लांट की ऑक्जलरी खपत पर और कैप्टिव पावर प्लांट से उत्पादित बिजली का स्वयं के स्टील उद्योग में उपयोग करने पर दो प्रकार की रियायतें मिलेंगी। इसके अनुसार स्वयं के स्टील उद्योग में उपयोग करने पर उन्हें 47 पैसे प्रति यूनिट के मान से विद्युत शुल्क का भुगतान देय होगा, जिससे इन दोनों इकाईयों को वित्तीय वर्ष 2018-19 में लगभग 132 करोड़ रूपए का लाभ मिलेगा।