प्रधानमंत्री जन-धन योजना का छत्तीसगढ़ में शुभारंभ

रायपुर, 28 अगस्त 2014/ केन्द्रीय खनिज, इस्पात और श्रम राज्य मंत्री श्री विष्णुदेव साय ने आज यहां प्रधानमंत्री जन-धन योजना का शुभारंभ किया। उन्होंने समारोह में कहा कि श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित यह देश के करोड़ों गरीबों के लिए एक कल्याणकारी योजना है, जो शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं से वंचित ऐसे परिवारोें के सामाजिक-आर्थिक विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। श्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री की इस महत्वाकांक्षी योजना के प्रथम चरण में देश के सभी परिवारों को बैंकिंग सुविधा दिलाने की परिकल्पना की गई है। श्री साय ने आज प्रारंभ इस योजना की खूबियों का उल्लेख करते हुए आज के दिन को छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश के लिए एक ऐतिहासिक दिन बताया। स्थानीय नवीन विश्राम भवन के सभा कक्ष में आयोजित योजना के शुभारंभ समारोह में मुख्य अतिथि श्री विष्णुदेव साय ने प्रतीक स्वरूप कुछ हितग्राहियों को उनके नवीन बैंक खाते भेंट कर बधाई और शुभकामनाएं दी।

जन धन योजना
कार्यक्रम की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ सरकार के स्वास्थ्य, नगरीय प्रशासन और वाणिज्यिक-कर मंत्री श्री अमर अग्रवाल ने की। विशेष अतिथि के रूप में राज्य सभा सांसद डॉ. भूषण लाल जांगड़े सहित जिला पंचायत रायपुर की अध्यक्ष श्रीमती लक्ष्मी वर्मा समारोह में उपस्थित थीं। राज्य सरकार के मुख्य सचिव श्री विवेक ढांड ने मुख्य अतिथि सहित सभी आगन्तुकों का स्वागत किया और इस नई योजना के सभी प्रमुख पहलुओं की जानकारी दी। समारोह का आयोजन राज्य सरकार के वित्त विभाग, संस्थागत वित्त संचालनालय और राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति द्वारा किया गया। केन्द्रीय राज्य मंत्री श्री विष्णुदेव साय ने अपने उद्बोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ नया राज्य है। राज्य ने अपनी स्थापना के मात्र चौदह वर्ष के भीतर विकास के विभिन्न क्षेत्रों में कई उल्लेखनीय सफलताएं हासिल की हैं, लेकिन प्रदेश के शत-प्रतिशत गांवों तक बैंक सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करना भी बहुत जरूरी है। प्रधानमंत्री जन-धन योजना इस दिशा में काफी मददगार साबित होगी। श्री साय ने कहा कि इस योजना में प्रत्येक खाते धारक का एक लाख रूपए का बीमा भी होगा और बैंक खाते के छह महीने तक सुचारू तथा नियमित संचालन पर उन्हें जरूरत होने पर पांच हजार रूपए तक ओव्हरड्राट भी मिल सकेगा। श्री साय ने कहा कि खाते धारक को शासकीय योजनाओं की अनुदान राशि सीधे उनके खाते में हस्तांतरित कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि भारत में लगभग छह लाख गांव है। प्रधानमंत्री श्री मोदी का लक्ष्य है कि प्रत्येक एक हजार से डेढ़ हजार घरों के बीच बैंक आउटलेट हो ताकि उन परिवारों को बैंक सेवाओं का त्वरित लाभ मिल सके। केन्द्रीय मंत्री ने वित्तीय समावेशन की दृष्टि से योजना को काफी महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि समाज के वंचित, असहाय और कमजोर वर्गों को सही समय पर पर्याप्त मात्रा में ऋण और वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराने की प्रक्रिया ही वित्तीय समावेशन है। प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत ऐसे परिवारों को बैंकों से जोड़कर उन्हें बचत, बीमा, ऋण और अन्य सेवाओं का लाभ दिया जा सकेगा।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रदेश के वाणिज्यिक-कर मंत्री श्री अमर अग्रवाल ने कहा कि श्री नरेन्द्र मोदी देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री है, जिन्होंने भारत के प्रत्येक परिवार के लिए बैंक एकाउंट होने की कल्पना की है और उसे आज देश भर में अमलीजामा पहनाया गया है। श्री अमर अग्रवाल ने कहा कि देश की लगभग 20 प्रतिशत आबादी के पास आज भी बैंक एकाउंट नहीं है। ऐसे में प्रधानमंत्री की यह योजना इन परिवारों के साथ-साथ पूरे देश की आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। मुख्य सचिव श्री विवेक ढांड ने स्वागत भाषण में कहा कि प्रधानमंत्री जन-धन योजना से देश और प्रदेश के अंतिम छोर के गांवों और अंतिम पंक्ति के लोगों तक बैंक सुविधाओं का विस्तार होगा। लोगों में बचत की प्रवृत्ति बढ़ेगी और उन्हें शासकीय योजनाओं का आर्थिक फायदा भी सीधे अपने बैंक एकाउंट के जरिए मिल सकेगा।
मुख्य सचिव श्री ढांड ने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ में लगभग बीस हजार गांव है, लेकिन बैंक शाखाओं की संख्या सिर्फ एक हजार 109 के आस-पास है। प्रदेश के लगभग चार हजार गांवों को बैंक सुविधाओं से जोड़ना जरूरी है, क्योंकि इन गांवों के लोगों को बैंकों से अपनी राशि निकालने के लिए दस-पंद्रह और बीस किलोमीटर तक आना-जाना पड़ता है। ऐसे में प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत वित्तीय समावेशन के जरिए इन गांवों के लोगों को भी बैंकों से जोड़ा जाएगा। श्री ढांड ने कहा कि बैंक सुविधाओं के अभाव में अक्सर ग्रामीणजन चिट-फंड कम्पनियों में राशि जमा करते हैं, लेकिन ये चिट-फंड कम्पनियां कई बार उन्हें उनकी जमा राशि वापस नहीं करती हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत ग्रामीणों और शहरी क्षेत्रों के जरूरतमंद गरीब परिवारों को सरकारी बैंकिंग सुविधाओं से जोड़कर आर्थिक सुरक्षा भी प्रदान की जा सकेगी। उन्होंने बताया कि योजना के तहत राष्ट्रीयकृत बैंकों द्वारा अपने व्यापार प्रतिनिधि (बिजनेस कॉरेस्पांडेंट) नियुक्त किए जाएंगे। गांव के ही किसी व्यक्ति, समाजसेवी संस्था या स्वसहायता समूह आदि में से किसी का चयन कर उसे व्यापार प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया जाएगा। योजना के तहत उसे एक विशेष मशीन दी जाएगी। यह मशीन गांव के ही किसी व्यक्ति अथवा समाजसेवी संस्था या महिला स्वसहायता समूह आदि में से किसी को दी जाएगी। इसके जरिए ग्रामीणों को बैंक सेवाओं का लाभ मिल सकेगा। योजना में खाते धारकों को रू-पे आधारित डेबिट कार्ड दिए जाएंगे। इस कार्ड के आधार पर वे अपनी राशि स्थानीय स्तर पर उसी तरह प्राप्त कर सकेंगे, जैसे स्मार्ट कार्ड के आधार पर एटीएम से राशि निकाली जाती है। किसान क्रेडिट कार्ड को भी इसमें परिवर्तित किया जाएगा।
मुख्य सचिव ने बताया कि छत्तीसगढ़ में मनरेगा के तहत लगभग 26 लाख श्रमिक परिवारों को हर साल करीब 1500 करोड़ से 1600 करोड़ रूपए तक मजदूरी का भुगतान होता है। इसके अलावा राज्य में 12 लाख से ज्यादा हितग्राहियों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाओं के तहत मासिक पेंशन दी जाती है। लाखों बच्चों को छात्रवृत्ति का वितरण होता है। इस अवसर पर विभिन्न बैंकों के अनेक वरिष्ठ अधिकारी, कई जनप्रतिनिधि और प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे। आभार प्रदर्शन भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य महाप्रबंधक श्री रितेन्द्र घोष ने किया।

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