सम्माक्का एवं सरलाम्मा को पूजने जुटते हैं एक करोड़ से अधिक आदिवासी

तेलंगाना के जयशंकर भूपालापल्ली जिले के मेदाराम में सम्माक्का सरलाम्मा जातरा पर मनाया जाता है, यह आदिवासियों के प्रमुख पर्व है जिसमें दो महिलाओं सम्माक्का और सरलाम्मा को देवी के रूप में पूजा जाता है। यहाँ इनका 12 वीं शताब्दी में निर्मित मंदिर भी जहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन जुटते हैं। इस मेले में तेलंगाना के अतिरिक्त छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखण्ड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश के एक करोड़ से ज्यादा लोग सम्मिलित होते हैं।

इस मेले में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह 1 फ़रवरी को शामिल हुए और सम्माक्का सरलाम्मा देवी की पूजा-अर्चना की। मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि कुंभ के बाद श्रद्धालुओं की सबसे ज्यादा भीड़ इस मेले में जुटती है। इस मेले में छत्तीसगढ़ के भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ के श्रद्धालुओं को वहां ठहरने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से दो करोड़ रूपए की लागत से एक धर्मशाला के निर्माण की घोषणा की। इसके लिए उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित तेलांगाना के उप मुख्यमंत्री श्री कडियम श्रीहरि से भूमि आवंटित करने का आग्रह किया, जिस पर उन्होंने सहमति व्यक्त की।

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को इस मेले में उनके वजन के बराबर 96 किलो गुड़ से तौला गया और इसके बाद उस गुड़ को प्रसाद के रूप में उपस्थितों को वितरित किया गया। मेले में तेलांगाना के आवास एवं विधि मंत्री श्री ए. इंदिराकरण रेड्डी, छत्तीसगढ़ के आदिम जाति कल्याण मंत्री श्री केदार कश्यप और वन मंत्री श्री महेश गागड़ा भी शामिल हुए। उल्लेखनीय है कि सम्माक्का सरलाम्मा जतारा आदिवासियों का सबसे बड़ा मेला है, जिसमें तेलांगाना के अलावा छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखण्ड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश के एक करोड़ से ज्यादा लोग शामिल होते हैं।

इस त्यौहार में आदिवासी समाज अपनी पीड़ा और शौर्य को अभिव्यक्त करते हैं। वहां कोया आदिवासी समुदाय से जुड़े सम्माक्का सरलाम्मा मंदिर भी है, जिसका निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया है। इस मंदिर में दो महिलाओं सम्माक्का और सरलाम्मा को देवी के रूप में पूजा जाता है। मंदिर में प्रसाद के रूप में गुड़ चढ़ाया जाता है। सभी श्रद्धालु अपने साथ गुड़ लेकर इस मेले में पहुंचते हैं।