बिन खिलौने के

तेरे आने से घर ये निखर जाएगा
मेरा बिगड़ा मुकद्दर संवर जाएगा

हमने महफ़िल सजाई है तेरे लिये
तू न आया तो दिल को अखर जाएगा

प्यार का पाठ मैंने लिखा है मगर
तुम अगर देख लो रस से भर जाएगा

मिलते-जुलते रहो मुसकराते रहो
गर मुसीबत भी आई उबर जाएगा

आदमी है वही हौसला जो रखे
उसको तूफ़ा भी देखे तो डर जाएगा

खुद को क़ाबिल बनाने की कोशिश करो
किनसे माँगेगा तू, किसके दर जाएगा

रूप-दौलत पे ऐसे न इतराइए
ये बगीचा कभी भी… बिखर जाएगा

कैसी बेकार किस्मत है उस बाप की
बिन खिलौने के फिर से वो घर जाएगा

दिल से सबके लिये जो दुआएँ करे
एक दिन वो ख़ुदाई से भर जाएगा

नकली यारों के कारण ज़हर ज़िन्दगी
दूर कर दो उन्हें तब ज़हर जाएगा

कौन कहता है सच्चाई हारी कभी
झूठ का हौले-हौले असर जाएगा

सबको तू आइना तो दिखाया करे
खुद ज़रा देख चेहरा उतर जाएगा

सच के रस्ते पे चलना खतरनाक है
देख लेना ये ‘पंकज’ उधर जाएगा
गिरीश पंकज

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